अब ना-नुकर नहीं…
मनु राव
आज देश अपने लोकतांत्रिक इतिहास के नये मोड़ पर आ खड़ा हुआ है। जनता ने सांप्रदायिक ताकतों के विशेषण से पुकारे जाने वाले जत्थे को अपना सेवक चुन लिया है। वह भी भरपूर बहुमत देकर। अब अपने वादों को पूरा करने में ये क्रराष्ट्रवादीञ्ज कोई क्रना-नुकरञ्ज नहीं कर सकते। न ही जनता क्रइफञ्ज और क्रबटञ्ज सुनेगी। एक ही आवाज आएगी, क्रअपने वादे पूरे करो।ञ्ज अब नरेंद्र मोदी के सामने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तथाकथित गुप्त एजेंडे को लागू करने की बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है, जिसे पिछले ७० वर्ष से क्रहिंदू राष्ट्रांग भूताञ्ज कहकर सबके मन में उतारा जाता रहा है। कश्मीर में धारा-३७० को समाप्त करना, समान सिविल कोड लागू करना और आयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करवाना भी आसन्न चुनौतियों में शामिल है। अब ये क्रजन सेवकञ्ज इन सबके लिए दस साल की अवधि नहीं मांग सकते, न ही गठबंधन की मजबूरी का बहाना बना सकते हैं। संविधान में क्रसमाजवादञ्ज के वादे के आगे क्रगांधीवादीञ्ज शब्द जोडऩे की जरूरत भी नहीं है। संविधान की समीक्षा करने की इनकी पुरानी मंशा पूरी करने में भी कोई अड़चन नहीं आ सकेगी।
ये सारे भावनात्मक मुद्दे जमीन पर उतारने में पता नहीं कितना समय लगेगा लेकिन महंगाई के बोझ में दबी जनता को राहत देने और बेरोजगारी से निजात दिलाने का काम प्राथमिकता से करना जरूरी हो गया है। जनता राज की ढाई रुपए किलो वाली शक्कर का स्वाद आज भी लोगों की जबान पर ताजातर है। आमजन को लूट कर विदेशों में ले जाया गया लाखों करोड़ रुपया वापस देश में लाने का संकल्प भी पूरा करना होगा, जो वर्तमान आर्थिक बदहाली को समाप्त करने का फिलहाल एकमात्र स्रोत है। इसके अलावा पिछले दस वर्षों में हुए लाखों करोड़ रुपयों के घोटालों से हड़पा गया धन ढूंढ निकालने तथा उनमें लिप्त तथाकथित राजनेताओं को सलाखों के पीछे डालने का काम भी प्राथमिकता में आना चाहिए, तभी जन-मन की अशांति दूर हो पाएगी, अन्यथा जिस जनता ने क्रसिर-आंखोंञ्ज पर बिठाया है, वहीं गद्दी से नीचे उतारकर फेंकने में देर नहीं करेगी। सावधान!
मोदी मस्त पप्पू पस्त
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