उदयपुर। राज्यों के विधानसभा चुनाव में मतदाता या तो एक्जिट पोल में जुटी एजेन्सियों को लल्लू बना गया, या फिर एजेन्सी के पंडित गुणा-भाग में चूक गए? बुधवार को आए विभिन्न एजेन्सियों के एक्जिट पोल के बाद ये दो बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। दिन भर लोगों में एक्जिट पोल को लेकर ही चर्चा रही और लगता है इस एक्जिट पोल की पोलपट्टी रविवार को दिन में एक बजे तक जनता के सामने आजायेगी ।
एक्जिट पोल परिणामों में एक ही राज्य में पार्टी विशेष की सीटों को लेकर सामने बड़े अंतर के चलते अब जनता भी किसी निष्कर्ष पर पहुच पाने के बजाय दुविधा में फंसी नजर आ रही है।
खासकर दिल्ली की बात करें तो यहां एक्जिट पोल की पोल-पट्टी जनता के सामने पूरी तरह से खुल कर सामने आ गई। यहां एक एजेन्सी ने जहां आप पार्टी को सबसे बड़े राजनीतिक दल के तौर पर सामने ला दिया, तो दूसरे ने महज छह सीटों पर ही सिमटा दिया। कहीं भाजपा 29 सीटों पर अटक गई है तो किसी एजेन्सी ने 41 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता पर काबिज कर दिया है।
काम का रखो, बाकी उड़ा दो!
एक्जिट पोल परिणाम सामने आने के बाद राजनीतिक दलों का भी रोचक रवैया सामने आया है। हर दल परिणामों में उसके लाभ वाले हिस्से को तो अपना रहा है, जबकि जहां नुकसान दिख रहा है, उसे स्वीकार नहीं कर रहा। कांग्रेस ने सभी एक्जिट पोल के परिणामों को सिरे से नकार दिया है। सीटों में इतने बड़े अंतर की बात को आधार बता कर पार्टी ने तो फिर से अपनी पुरानी मांग दोहरा दी है कि ऎसे सर्वेक्षणों पर रोक लगनी चाहिए। दूसरी ओर, प्रफुçल्लत भाजपा अपनी जीत की बात तो मान रही है, लेकिन यह नहीं मान रही कि दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा भी हो सकती है।
चुनाव सही नहीं या गणितीय त्रुटि
विशेषज्ञ इस पूरी गफलत में गणितीय त्रुटि या परिस्थितियों के गलत चुनाव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। एक समाचार वेबसाइट ने विशेषज्ञें के हवाले से बताया है कि संभवत: इसमें एजेन्सियों ये वोटर से साक्षात्कार के स्थान चुनने में गलती हुई है। गणितीय त्रुटि या फिर वोटों के आधार पर हार-जीत के आकलन में भी त्रुटि की आशंका है।