उदयपुर। उदयपुर में बनने वाले ईएसआई के 100 बेड के हॉस्पीटल का मंगलवार को शिलान्यास रखा गया। श्रम मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री बंडारु दत्तात्रेय द्वारा शिलान्यास किया गया। श्रमिकों के विकास गाथा का यह कार्यक्रम अपनी पूरी भव्यता लिए हुए था। मौजूद हर नेता ने काजु बादाम की जुगाली करते ठन्डे जूस का घूंट लेते श्रमिकों के कल्याण के बड़े बड़े दावे किये।
केन्द्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के साथ साथ प्रदेश के श्रम मंत्री डा जसवंत सिंह गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया आदि भी थे। निजी फेक्टरियों में कार्यरत श्रमिको और कर्मचारियों के लिए बनाये जारहे १०० बीएड के अस्पताल के शिलान्यास में कोई भी श्रमिक कार्यक्रम में मोजूद नहीं था जबकि आसपास में ही मार्बल फेक्टरियों में हज़ारों श्रमिक और कर्मचारी कार्य करते है। श्रमिक नेताओं को जरूर आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों का दिल्ली से आई विशेष टीम ने पूरा ध्यान रखा। इसके लिए प्राइवेट इवेंट कंपनी से पूरा इंतज़ाम करवाया गया था जिसके अंतर्गत हर २ मिनट के अंतराल में हर एक के पास महिला व पुरुष कर्मी वेटर की ड्रेस में ठन्डे पानी की बोतले पहुचा रहे थे। यही नहीं हर १५ मिनट में छाछ और ठंडा ज्यूस भी कार्यक्रम में आये लोगों तक पहुचाया जा रहा था। तले हुए काजू और बादाम का इंतज़ाम भी किया गया था जो पुरे कार्यक्रम के दौरान तीन से चार बार लोगों तक टिशु पेपर में पहुचाते गए। श्रमिकों के खून पसीने की बात करने वाले वीआइपी स्टेज पर काजू बादामों की जुगाली करते हुए श्रमिकों के हक़ की बात करते रहे। किसी भी वीआइपी को गर्मी का अहसास ना हो इसके लिए स्टेज पर छह बड़े टावर एसी लगाये गए थे और पुरे पंडाल में बड़े जम्बो एयर कूलर लगाये गए थे। हालाँकि केन्द्रीय मंत्री से लेकर स्थानीय ग्रामीण विधायक तक ने श्रमिकों के कल्याण की बात कही और केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे श्रमिक कल्याण की नीतियों का बखान करते रहे।
काजु बादाम की जुगाली करते हुए नेताओं ने सुनाई श्रमिकों के कल्याण की गाथा .
Date:
Re to Esic foundation: if it wud have been lesser. Press wud say “it was not well planned/chaotic/uncaring and a Wong begining.
It wasn’t intended to please shramik as he would still be working @ his factory(mind it – Tuesdays are working).
Minus the fried dryfruits and the hostesses(well, you noticed them ….) It was commendable setup on a dry, hilly background which was tough to flatten and make less dusty.
Lastly- socialism is over. Even a Mulayam Sg orders a charioy from England on special ocassion s. Least to say what the netas eat these days…