रिसर्च: सोशल मीडिया के कारण पोस्टकार्ड और अंतरदेशी पत्र को भूले युवा
उदयपुर। लेकसिटी के युवाओं पर जयपुर में पढऩे वाले तीन युवकों के गु्रप ने जब सर्वे किया, तो पता चला कि केवल तीन प्रतिशत युवा ही जानते है पोस्टकार्ड का सही मूल्य क्या है? ९७ प्रतिशत युवाओं ने आज तक पोस्टकार्ड का उपयोग नहीं किया और कुछ टीन एजर्स को तो पता ही नहीं हैं कि पोस्टकार्ड क्या है? उन्हें ये भी जानकारी नहीं कि पोस्टकार्ड आखिर मिलता कहां है? 98 प्रतिशत युवाओं को अंतरदेशी पत्र क्या होता है? इसकी जानकारी भी नहीं और इसका उपयोग करने वाले तो महज एक प्रतिशत भी नहीं है।
जयपुर के कॉलेज में पढऩे वाले शहर के तीन युवा आशीष शर्मा, विक्रम दुबे और महावीर कोटिया ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिए उदयपुर शहर का सर्वे किया, जिसमें यह तथ्य सामने आया वॉट्सएप्प और फेसबुक आदि सोशल साइट पर धड़ाधड़ मैसेज करने वाले युवा को डाकघर में मिलने वाले मैसेंजर पत्रों के बारे में कुछ जानकारी नहीं है।
एक समय था जब डाकघर में मिलाने वाले पोस्ट कार्ड, अंतरदेशी पत्र, पोस्ट लिफाफा आदि संदेश और अभिव्यक्ति के लिए बेहरत विकल्प थे, लेकिन बदलते दौर के साथ माध्यम में बदलाव आया और इनकी जगह वॉट्सएप्प ई -मेल, यहां तक की विशेष दिनों में भेजे जाने वाले ग्रीटिंग की जगह अब ई-ग्रीटिंग ने ले ली है। युवाओं को लगता है कि व्हाट्सप्प और फेसबुक बेहतर विकल्प है। सर्वे में यह बात सामने आई कि डाकघर का उपयोग युवा अब सिर्फ रक्षा बंधन में भेजी जाने वाली राखी, सरकारी नौकरी में काटे जाने वाले चालान के लिए ही करते हैं।
अब ई-राखी का दौर : अब तो राखी भी ई-राखी हो गई है। कुछ वर्ष पहले बहनें अपने भाई को राखी भेजने के लिए कई दिन पहले डाकघर के चक्कर लगाती थी, लेकिन अब तो कई वेब साइट ऐसी हो गई है, जहां पसंदीदा राखी चुन लो, वो लोग वो ही राखी भाई तक पहुंचा देंगे। पेमेंट ऑनलाइन हो जाएगा।
प्रेम पत्र के जमाने भी लद गए : कुछ समय पहले तक युवा प्रेम में लव लेटर लिखा करते थे, लेकिन सर्वे में सामने आया की 25 वर्ष तक के युवाओं ने अपनी प्रेमिकाओं को कभी लव लेटर लिखा ही नहीं। अभी सिर्फ व्हाट्सप्प पर मैसेज या चैट कर लेते हैं, बात हो जाती है। लव लेटर की जरूरत ही नहीं पड़ती। हालांकि कुछ युवा मानते हैं कि जो भावनाएं कागज पर उतारी जा सकती है, वह व्हाट्सप्प पर बयां नहीं हो सकती।
टेलीग्राम बंद अब टेलीग्राम एप्प : कुछ समय पूर्व ही टेलीग्राम सेवा को आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया, लेकिन टेलीग्राम एप्प अब बाजार में हैं, जो व्हाट्सप्प की तरह ही काम करती है। सभी फीचर ज्यादा सुरक्षित है। इसको दो भाई निकोलाई और पावेल दुरोव ने मिलकर 2013 में लांच किया था।
व्हाट्सप्प और फेसबुक से परेशान : सर्वे में यह बात भी सामने आई कि कई समझदार युवा कहते हैं कि यह सिर्फ वेस्ट ऑफ टाइम है। व्हाट्सप्प और फेसबुक पर चैट के चक्कर में बहुत सारा टाइम खर्च होता है और अति हर चीज की बुरी होती है। कई युवाओं को यह भी पसंद नहीं क्योंकि यदि दिनभर इसमें लगे रहे तो कोई भी रचनात्मक कार्य नहीं कर पाते।