-वेटलैंड संरक्षण कानून के तहत हो झीलों-तालाबों का संरक्षण
उदयपुर। सभी झीलें व तालाब वेटलैंड की श्रेणी में आते है। वेटलैंड संरक्षण क़ानून के तहत झीलों-तालाबों का अधिकतम भराव तल (एमडब्लूएल) तक सुरक्षित रखना आवश्यक है। ऐसे में मदार, बड़ी, पीछोला, फतहसागर, उदयसागर सहित राजस्थान के सभी छोटे-बड़े तालाबों के अधिकतम भराव तल तक के सबमर्जेन्स को सुरक्षित व यथावत रखा जाए। उक्त विचार डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल, झील संरक्षण समिति एवं चांदपोल नागरिक समिति द्वारा आयोजित पीछोला तालाब पर रविवारीय श्रमदान पश्चात हुए संवाद में व्यक्त किए गए।
झील संरक्षण समिति के सहसचिव एवं वेटलैंड टास्क फोर्स के सदस्य रहे अनिल मेहता ने कहा कि १२ वर्ष पूर्व झील संरक्षण समिति ने उदयपुर की झीलों को वेटलैंड सिद्धांतों के तहत संरक्षित करने की राय दी थी। इस पर प्रशासन ने वेटलैंड टास्क फोर्स का गठन भी किया, लेकिन टास्क फोर्स में कुछ ऐसे सदस्य थे, जो वेटलैंड सिद्धांतों का विरोध रखने वाले थे। ऐसे सदस्यों ने एक मुहीम के तहत वेटलैंड विचार का विरोध किया। यह एक षड्यंत्र था, ताकि झीलों के सबमर्जेन्स की भूमि को भू-माफियाओं के हवाले किया जा सके।
चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के वेटलैंड संरक्षण निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यह अफसोस का विषय है कि उदयसागर को वेटलैंड सिद्धांतों व कानूनों के तहत सुरक्षित करने के निर्णय के साथ ही उसके एमडब्ल्यूएल को घटाने की कोशिशें भी प्रारंभ हो गई है। उदयसागर के ओवरफ्लो को चौड़ा कर पानी निकासी करने के पीछे उस टापू को बहार करना है, जिस पर होटल का निर्माण हो रहा है।
मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर की झीले न्यायालय के निर्देशों से एमडब्ल्यूएल पर नोटिफाइड है, लेकिन भू माफियाओं के लालच व दबाव में न्यायालय की सीधी अवमानना हो रही है। एक तरफ जल भराव बढ़ाने के मकसद से नर्वदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार ले रही है, वही उदयसागर सहित राजस्थान की झीलों के जलभराव को छोटा करने के हुए प्रयासों पर राज्य सरकार को विराम लगाना चाहिए ।
संवाद से पूर्व पीछोला के अमरकुंड क्षेत्र में रविवारीय श्रमदान के तहत झील से शराब की बोतलें, खाद्य अखाद्य वस्तुए, पोलिथिन, फाटे पुराने कपड़े, जलीय घास, पूजन हवन सामग्री निकली गई। श्रमदान में कुल दीपक पालीवाल, तेज शंकर पालीवाल, इंदूशेखर व्यास, नितिन सोनी, अनिल मेहता, मोहनसिंह चौहान, रामलाल गहलोत, नंदकिशोर शर्मा, प्रतापसिंह राठौड़, स्वामी सागरानंद, कैलाश कुमावत, दुर्गाशंकर पुरोहित, भंवरलाल शर्मा, पुरुषोत्तम पालीवाल सहित कई नागरिकों ने भाग लिया।
एमडब्ल्यूएल को नकारना एक साजिश
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