राजस्थान, मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे से चुनावी मैदान के बजाय अपने ही घर में लड़ रही हैं। वजह, टिकट न मिलने से नाराज नेता हैं। इनमें भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज चेहरे भी हैं, जो पहले मंत्री या सांसद रह चुके हैं, अब वे दूसरे दलों से या फिर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। बागी नेता पार्टी दफ्तर और अपने इलाकों में प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ऐसे में दोनों दलों के बड़े नेता बागियों को मनाने में जुटे हैं।
राजस्थान में भाजपा को करीब 60 सीटों पर और कांग्रेस को 40 सीटों पर बागी नेताओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, मध्यप्रदेश में भाजपा को 60 और कांग्रेस को 40 से 45 सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा-कांग्रेस को इन राज्यों में इसलिए भी डर सता रहा है, क्योंकि यहां हर चुनाव में 10% से 20% सीटों पर हार-जीत का अंतर काफी नजदीकी रहता है।
राजस्थान: भाजपा के 170 प्रत्याशी घोषित, 41 विधायकों का टिकट कटा
राजस्थान में भाजपा अब तक 200 में से 170 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है। इसमें 41 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इनमें चार मंत्री भी हैं। कांग्रेस ने 184 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इनमें तीन मौजूदा विधायकों के नाम नहीं हैं।
2013 में अशोक गहलोत के नेतृत्व में जिन 152 नेताओं ने चुनाव लड़ा था, उनमें से 79 को इस बार टिकट नहीं मिला। कांग्रेस ने दो चुनाव हारे चेहरों को भी टिकट नहीं दिया है। यहां पार्टी को 40 से 45 सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यहां टिकट न मिलने से नाराज नेता समर्थकों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।
भाजपा के सांसद, विधायकों को कांग्रेस दे रही टिकट
कांग्रेस ने भाजपा के सात बागियों को टिकट दिया है। इनमें दौसा से भाजपा सांसद हरीश मीणा भी शामिल हैं। भाजपा नेता जसवंत सिंह के विधायक बेटे मानवेंद्र सिंह को कांग्रेस ने शनिवार को वसुंधरा राजे के खिलाफ झालरापाटन से टिकट दिया। भाजपा ने पांच बागियों को टिकट दिया है।
भाजपा के बागी: मंत्री बाबूलाल वर्मा, सुरेंद्र गोयल, धनसिंह रावत, राजकुमार रिणवा, विधायक ज्ञानदेव अहूजा, अनीता कटारा, राधेश्याम, दिया कुमारी, विधायक हबीबुर्रहमान आदि। कांग्रेस के बागी: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान, बीडी कल्ला, विधायक घनश्याम, नारायण सिंह, हीरालाल।
मध्यप्रदेश: भाजपा ने 54 विधायकों के टिकट काटे, आधे पार्टी के विरोध में
मध्यप्रदेश में भाजपा के 14 मंत्रियों के सामने अपने ही पार्टी के नेता निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी के सहारे मैदान में हैं। इनके अलावा भाजपा के तीन मंत्री और 25 विधायक अन्य पार्टियों या बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। पार्टी ने पांच मंत्रियों समेत 54 मौजूदा विधायकों का टिकट राज्य में काटा है।
भाजपा ने करीब 63 बागियों को पार्टी से भी बाहर भी कर दिया है। भाजपा के बागी 25 से 30 सीटों पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं, कांग्रेस को करीब 20 से 25 सीटों पर अपने बागी नेताओं से नुकसान दिख रहा है। राज्य में नाम वापसी की तारीख निकल चुकी है। इसके बावजूद भाजपा-कांग्रेस अपने बागियों को पार्टी में बड़ा ओहदा देकर मनाने की कोशिश में लगे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खुद वीडियो काॅन्फ्रेंस कर नेताओं को मना रहे हैं। शिवराज सरकार में मंत्री रहे सरताज सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी बेटे को टिकट नहीं से मिलने से बगावत पर उतर आए। उन्होंने अपने बेटे नितिन को सपा से टिकट दिलाया है।
भाजपा के बड़े बागी: पूर्व मंत्री राघवजी, रामकृष्ण कुसमरिया, केएल अग्रवाल, विधायक रेखा यादव, बह्मानंद रत्नाकर, नरेंद्र सिंह कुशवाह, संगीता, नीलम मिश्रा, जीतेंद्र डागा, कमल मर्सकोले। कांग्रेस के बड़े बागी: पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव, राजेश शुक्ला, प्रताप सिंह, साहिब सिंह गुर्जर, प्रदीप जयसवाल, किसान नेता डीपी धाकड़, चिंटू चौकसे, छोटे यादव, बाबूलाल शर्मा।