उदयपुर। बीस साल गुजर गए। क्षेत्र के मुद्दे वहीं खड़े हैं। पिछले चार चुनावों में जिन मुद्दों के सहारे प्रत्याशी विधानसभा तक पहुंचे, उन्हें हल नहीं कर सके। अगले चुनाव में 13 दिन बाकी हैं, मगर प्रत्याशियों ने अहमदाबाद आमान परिवर्तन, हाईकोर्ट बेंच, आयड़ विकास जैसी योजनाओं का नाम तक नहीं लिया।
एक-दो मौकों पर मतदाताओं ने सवाल किए तो प्रत्याशियों ने घुमा-फिराकर जवाब दे दिया। मोहल्लों, कॉलोनियों और वार्डों में प्रत्याशियों के दौरों में इन मुद्दों पर कोई जिक्र नहीं हो रहा है।
तीन बड़े मुद्दे जिन पर जनप्रतिनिधियों के पास जवाब नहीं
ब्राडगेज
उदयपुर अहमदाबाद के बीच रेलवे लाइन का आमान परिवर्तन (ब्राडगेज) सबसे बड़ा मुद्दा है। मेडिकल, पर्यटन, शिक्षा व रोजगार के लिहाज से अहमदाबाद से कनेक्टिविटी जरूरी है। केंद्र सरकार ने योजना स्वीकृत कर दी है, लेकिन बजट के अभाव में काम धीमी गति से हो रहा है। संभाग के एमएलए राज्य सरकार से इस परियोजना में बजट दिलवा दे तो योजना की गति बढ़ सकती है। राज्य सरकार ने रतलाम-डूंगरपुर रेलवे लाइन के लिए पचास फीसदी राशि दी है।
हाईकोर्ट बेंच
मेवाड़ में हाईकोर्ट बेंच के लिए तीस सालों से आंदोलन जारी है। भाषणों में एमएलए और एमपी यहां हाईकोर्ट बेंच स्थापना करवाने के वादे कर चुके हैं। संभाग में आंदोलन के बावजूद इन चुनावों में इस मुद्दे पर सबने चुप्पी साध ली है। इससे पहले चुनावों में कई नेता हाईकोर्ट बेंच स्थापना के लिए वादे कर चुके हैं। हर माह की सात तारीख को अब भी अधिवक्ता इस मांग को लेकर न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं। प्रतापगढ़ को रेलवे लाइने से जोडऩा, नाथद्वारा-मारवाड़ के बीच आमान परिवर्तन भी प्रमुख मुद्दा है।
मार्बल मंडी
दक्षिणी राजस्थान में खनन और मार्बल उद्योग यहां का आर्थिक आधार है। राजसमंद में मार्बल मंडी स्थापना की मांग कई बरसों से की जा रही है। हर बार चुनावों के मौसम में प्रत्याशी इसका वादा भी करते आए हैं, मगर अब तक मंडी की स्थापना नहीं हो सकी है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत कई बार क्षेत्र में खनन पर रोक लगाई गई। अब भी बजरी सहित खनन पर संकट बरकरार है। लेकिन किसी भी पार्टी की ओर से खनन उद्योग को इस संकट से उबारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यह मुद्दा अब तक सवाल बना हुआ है।
3 मुद्दे जो बने हुए हैं सवाल
आयड़ विकास : चुनावों में आयड़ विकास का मुद्दा हावी रहता है, लेकिन अब तक आयड़ का विकास नहीं हुआ। काम शुरू करवाना तो दूर, अब तक नदी को गंदे पानी से ही मुक्त नहीं किया जा सका है।
एलिवेटेड रोड : उदियापोल से कोर्ट चौराहे तक एलिवेटेड रोड बनाने की योजना को दस साल हो गए हैं। लेकिन अब तक इसका खाका भी तैयार नहीं हो सका है और योजना कागजों में है।
प्रतापनगर चौराहे पर ओवरब्रिज : डेंजर जोन बन चुके प्रतापनगर चौराहे पर ओवरब्रिज निर्माण के लिए भाजपा व कांग्रेस सरकार के दौरान यूआईटी ने योजना बनाई, लेकिन मूर्तरूप नहीं ले सकी।