उदयपुर | इस्लाम मजहब के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम का यौम-ए पैदाइश मुस्लिम समुदाय ने रविवार को उत्साहपूर्वक मनाया। इश्क-ए-रसूल की खुशबू फिजां में हर तरफ फैली नजर आई। इस मौके पर शानो शौकत से निकले जुलूस में आशिकान-ए रसूल का सैलाब उमड़ पड़ा। ब्रमपोल इमरत रसूल बाबा की दरगाह पर सलातो सलाम के बाद मुल्क को आतंकवाद के खतरे मुक्त रहने, अमन खुशहाली की दुआ की गई।
ईद मीलादुन्नबी का जोश हर तरफ नजर आया। खुशी के मौके पर आशिकान-ए रसूल ने नए लिबास पहने और खुशबू लगा कर सुन्नते रसूल की अदायगी की। बुजुर्ग, युवा और बच्चे सभी इश्के रसूल में डूबे रहे। यह उत्साह जुलूस में और दो गुना नजर आया।
जुलूसे मोहम्मदी बडी अकीदतो-अहतराम के साथ दोपहर 2 बजे अंजुमन चौक से रवाना हुआ। जो सिंधी बाजार, घंटाघर, हरवेनजी का खुर्रा होता हुआ हाथीपोल पहुंचा।आयड, पहाडा, ठोकर, सुंदरवास एवं डबोक से आए जुलूस सीधा हाथीपोल पहुंचा। जहां जुलूसे मोहम्मदी ने एक विशाल रूप ले लिया। जुलूस का एक छोर अम्बावगढ कच्ची बस्ती था तो दूसरा छोर हाथीपोल पर था।
जुलूसे मोहम्मदी में कई मौहल्लों से आए जुलूसों में शामिल ऊंट गाड़ियों में बैठे नन्हे-मुन्ने बच्चों ने हाथों में ’जश्ने ईद मिलादुन्नबी मुबारक हो’ ’सरकार की आमद’ आदि नारे लिखे तख्तियां लिए हुए थे। जुलूसे मोहम्मदी के पूरे मार्ग में बच्चे नारे लगाते हुए चल रहे थे। वहीं जुलूस में मस्जिदों के इमामों के लिए बग्गियां लगाई गई। वहीं कई बुजुर्ग घोडे पर सवार होकर हाथ में झंडा लिए चल रहे थे।
जुलूसे मोहम्मदी में कई युवा हाथों में तिरंगा लेकर चल रहे थे जो कईयों ने वतन परस्ती के लिए लिखे नारे ’अपने वतन से मुहब्बत आधा ईमान’ लिखी तख्तियां अपने वाहनों के आगे लगा रखी थी। नातियां कलाम में भी वतन परस्ती के अशआर पेश किए गए।
जुलूसे मोहम्मदी के हाथीपोल पहुंचने पर वहां मिलाद पार्टियों के युवाओं ने हजरत मोहम्मद (स.अ.) की शान में नातिया कलाम पेश किए। जिसमें नूर वाला आया है, नूर लेकर आया है, सारा आलम में ये देखो कैसा नूर छाया है, हर देश में गूंजेगा अब या रसुल्लाह, खुशियां मनाओ, आका का मिलाद आया, मैं तो मिलादी हूं, चारों तरप* नूर छाया-आका का मिलाद आया, सोणा आया नी सजदी गलियां बाजार आदि कलाम पेश किए। हजारों की संख्या में मौजूद लोगों इन नातिया कलाम पर झूमते नजर आए।
जुलूसे मोहम्मदी शाम करीब 5.10 बजे मल्लातलाई पहुंचा जहां मल्लातलाई नौजवान सोसायटी द्वारा कई इंतजामात किए गए। इसके अलावा कई घरों के बाहर भी लोगों ने जुलुसे मोहम्मदी का इस्तकबाल किया। विशाल जुलूस में अधिकांश युवा सपे*द लिबास पहने हुए कौमी नारे लगाते हुए चल रहे थे। जुलूस ब्रह्मपोल बाहर स्थित हजरत इमरत रसूल बाबा की दरगाह पहुंच कर चादर पेश कर प*ातेहा के बाद समपन्न हुआ। प*ातेहा में मुल्क में अमन चैन एवं भाईचारे के लिए दुआएं मांगी गई। इसके बाद जुलूसे मोहम्मदी में शामिल विभिन्न मौहल्लों के जुलूस रात 8 बजे तक मल्लातलाई पहुंचते रहे।
जुलूसे मोहम्मदी को लेकर हाथीपोल एवं मल्लातलाई में कई तरह की स्टॉले लगाई गई। कई घरों पर जुलूसे में शामिल बच्चों के लिए टॉपि*यां एवं प्रू*टी लाकर बांटी गई है। वहीं पानी, शरबत, चाय-कॉप*ी कई प्रकार के व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए जहां लोगों को तबर्रूक के तौर पर व्यंजन बांटे गए।
फ़िज़ां में इश्क़-ए-रसूल की फैली खुशबू तो आशिक़ान-ए-रसूल का उमड़ा सैलाब
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