उदयपुर । ”लोकतंत्रात्मक प्रणाली को सषक्त बनने के लिए षिक्षा ही एकमात्र विकल्प है।“ यह तथ्य लोकमान्य तिलक षिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय, डबोक में आयोजित 43वीं श्री लालबहादुर शास्त्री राजस्थान अन्तः षिक्षक महाविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में उभर कर आया।
राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि प्रो. कैलाष सोड़ानी, डीन षिक्षक षिक्षा, मोहनलाल सुखाडिया विष्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि षिक्षा सेवाकार्य से ही शोभित होती है। इससे पूर्व महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आर. पी. सनाढ़य ने मंचस्थ अतिथियों एवं निर्णायकों का शब्द सुमनों के स्वागत कर परिचय प्रदान किया एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता पर प्रकाष डाला।
राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता में निर्णायक के.एन.विजयन, निदेषक, इण्डो अमेरिकन स्कूल उदयपुर, डॉ. प्रेमसिंह रावलोत, प्राचार्य बी.एन. गर्ल्स कॉलेज सलूम्बर, रामलाल सालवी व्याख्याता, श्रीमन्नारायण उ.मा.वि.डबोक थे।
वाद-विवाद प्रतियोगिता में डॉ. शषि चित्तौड़ा, डॉ. सरोज गर्ग के साथ समस्त संकाय सदस्य एवं एम.एड.,बी.एड.,बी.एड.बाल विकास, बी.एस.टी.सी. विभागों के छात्राध्यापक उपस्थित थे।
लोकतंत्रात्मक प्रणाली को सषक्त बनाने के लिए शिक्षा ही विकल्प है
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