Udaipur Post. होटल लक्ष्मी विलास या घोटाला विलास वेसे इसको घोटाला कहना घोटाले की बेइज्जती करना होगा . क्यूँ कि ये एक एसा काण्ड था या है जिसको
पुरे सरकारी तंत्र क्या अफसर और क्या मंत्री और क्या नेता सब ने मिल कर अंजाम दिया है . ज्यादा टेडी मेडी बात अपन नहीं करते है और अगर सीधी बात करें अच्छी खासी चलती पांच सितारा होटल लक्ष्मी विलास को सरकार मै बैठे ग्यानी लोगों ने घाटे का उपक्रम मानते हुए घाटे में नहीं बल्कि कोडियों में बेच दिया . जनता एक्टिविस्ट बुद्धि जीवी अखबार मीडिया सब चिल्लाते रहे लेकिन सरकार हुजुर सरकार . जैसे अभी बेचे जा रही है वेसे ही उस वक़्त भी बेच दिया .
चलिए कहानी एक बार फिर सरल भाषा में शुरू से कम शब्दों में बता देते है याद रखियेगा .
बात है 2001 2002 की केंद्र में भाजपा यानी एनडी की सरकार थी औअर दिवंगत श्री अटलबिहारी जी प्रधानमंत्री थे . ITDC के मालिकाना हक़ वाली राजस्थान उदयपुर की होटल लक्ष्मी विलास पांच सितारा होटल थी . यहाँ आप ध्यान रखिये ITDC यानी
India Tourism Development Corporation जो की केंद्र सरकार के अधीन आता है और राजस्थान सरकार के अधीन आता है वो होता है RTDC
Rajasthan Tourism Development Corporation
अब केंद्र सरकार के विनिवेश मंत्रालय ने जाने क्यूँ लक्ष्मी विलास को घाटे का उपक्रम माना और इसको महज़ 7.50 कराेड़ में बेच दिया था। जहाँ तक मुझे याद है उस वक़्त अगर जमीन को छोड़ ददते तो लक्ष्मी विलास का जो बिल्डिंग यानी कंस्ट्रक्शन था वो भी अगर सही से लागत लगाते तो 10 गुना अधिक निकलता उसका फर्नीचर वगेराह तो फिर अलग बात है . लेकिन खेर सरकार चाहे तो क्या क्या नहीं बेच सकती सब कुछ बेच सकती है जनता क्या कर सटी है कुछ नहीं जैसे की अभी मोजुदा सरकार धडाधड बेचे जा रही है , कुछ हो रहा है कुछ नहीं . खेर तो कितने में बेच दी ७.50 करोड़ मै किसको बेचीं भारत होटल्स लिमिटेड को किसने बेचा . खेर वो याद ही होगा .
सब चिलाते रहे किसी के कान पर जून्तक नहीं रेंगी और ये उपक्रम बिक गया इतने में ही बेचना था तो हुजुर हमारे उदयपुर का ही कोई सेठ होतेलियर खरिओद सकता था लेकिन खेर ये खेल बड़ा होता है जो आम जनता की समझ में ना तो उस वक़्त आया ना इस वक़्त आयेगा . और अब जो बिक रहा है उस पर किसी ने बोला तो देश द्रोही कहलायेगा .
खेर होटल बिक गयी और पांच साल बाद सरकार बदल गयी और आगई यूपीए की सरकार . तो इस सौदे को भ्रष्टाचार मान सीबीआई ने केस दर्ज किया या सरकार ने जोर डाला होगा क्यूँ की अब ये बात छिपी हुई नहीं है सी बी आई दरसल केंद्र सरकार का हंटर होती है जो अपने विरोधियों के ऊपर चलता है . खेर केस दर्ज हुआ सी बी आई ने अपनी जांच में इस होटल की कीमत 252 करोड़ होना बताया। एजेंसी ने रिपोर्ट में बताया कि आपराधिक षड्यंत्र के तहत सरकार को 143.48 करोड़ का घाटा पहुंचाया गया।
सीबीआई ने विनिवेश मंत्रालय के सचिव बैजल, मै. लैजार्ड प्राइवेट लिमिटेड के एमडी आशीष गुहा, वैल्यूअर कांतिलाल करमसे, भारत होटल्स लिमिटेड के प्रतिनिधि व अन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया।
इस मामले में कोर्ट का निर्णय होता उससे पहले केंद्र में फिर से एनडीए की सरकार यानी मोदी की सरकार आ गई। सरकार बदलते ही जांच एजेंसी का रवैया भी बदल गया। जिस सौदे को 243.6 कराेड़ का घाेटाला माना था अगस्त 2019 में उसे ही नियमानुसार मानकर क्लाेजर रिपाेर्ट लगा केस बंद करने का निर्णय ले लिया। अब सीबीआई कोर्ट के विशेष जज पूरण कुमार शर्मा में क्लोजर रिपोर्ट पर असंतोष जता फिर से जांच करने के आदेश दे दिए।
और आखिर कार सीबीआई को मानना पडा की घोटाला हुआ और अपराधिक षड्यंत्र के चलते इसको कोडियों में बेचा गया . और आखिर कार सीबीआई कोर्ट का आदेश आया सीबीआई की विशेष कोर्ट जोधपुर के जज पूरण कुमार शर्मा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, पूर्व व अन्य आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने होटल को उदयपुर कलेक्टर को कुर्क करने के भी आदेश दिए हैं, यह होटल कोर्ट का फैसला आने तक कुर्क रहेगी।
आगे की कहानी क्या है और पर्दे के पीछे की कहानी क्या है ये भी आपको हम बताएगें इस एपिसोड के भाग 2 में .
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