महारानी साहिबा के फरमान से कवी कुमार विश्वास को केंसल किया तो देश भर के कवियों ने कवी सम्मलेन का ही बहिष्कार कर दिया – डूंगरपुर कवी सम्मलेन

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न्यूज़ पोस्ट उदयपुर। डूंगरपुर के लाखों लोगों को जिस कवी समेलन का महीने भर से इंतज़ार था वह मुख्यमंत्री राणी साहिबा के फरमान के बाद मायूसी में बदल गया। कवी सम्मलेन की आयोजक डूंगरपुर की नगर परिषद् ने अपने दीपावली मेले के दौरान होने वाले कवि सम्मेलन में जयपुर सीम हाउस से जारी हुए तुगलकी फरमान के बाद कवी कुमार विशवास को आने के लिए मना कर दिया तो, विरोध में बाकी कवियों ने कवी सम्मलेन का ही बहिष्कार कर दिया।
जानकारी के अनुसार डूंगरपुर में गुरुवार को दीपावली मेले में कवि सम्मेलन होना था जिसमे कुमार विशवास और उदयपुर के आजात शत्रु सहित देश के बड़े बड़े कवी भाग लेने वाले थे। दो दिन पहले ही जयपुर आलाकमान के आदेश पर नगर परिषद् डूंगरपुर को आदेश दिए गए कि डूंगरपुर में होने वाले कवी सम्मलेन में कवी डॉ कुमार विश्वास नहीं आने चाहिए। नगर परिषद् ने कवी सम्मलेन के संयोजक उदयपुर के कवी अजात शत्रु से कहा कि कुमार को केंसल कर दुसरे कवी को आमंत्रित करदो। जब यह बात कवी आजात शत्रु ने बाकी कवियों को कही तो कवी सम्मलेन में आने वाले सभी कवियों ने इसका भारी विरोध जताते हुए कवी सम्मलेन का ही बहिष्कार कर दिया। इधर डूंगरपुर के मेला प्रांगन में गुरुवार को रात ९ बजे तक हज़ारों की तादाद में जमा हुई पब्लिक कुमार विशवास का इंतज़ार करती रही लेकिन वहां कोई नहीं पहुचा। नगर परिषद् के सभापति के के गुप्ता ने आखिर 10 बजे सभी श्रोताओं से माफ़ी मांगी और कहा कि कवियों की फ्लाईट केंसल हो जाने की वजह से कवी नहीं पहुचे।
इधर महारानी साहिबा के इस फरमान का देश भर के कवियों और बुद्धि जीवियों ने जम कर आलोचना की। डॉ कुमार विशवास ने अपने फेसबुक पेज पर लाइव आकर सभी डूंगरपुर वासियों से माफ़ी मांगी और ना आने की वजह भी बताई। गौरतलब है कि कुमार विशवास आम आदमी पार्टी के नेता है लेकिन वे एक कवी भी है। कवी के रूप में देश भर में उनको करोड़ों सुनने वाले और उनके फेन है। कुमार विशवास कवी के मंच से कभी पार्टी की बात नहीं करते वह सीधे तौर पर अपनी शैली की कविताओं का पाठ ही करते है। अपने फेसबुक लाइव में भी कुमार विशवास ने यह साफ़ किया कि वह चाहे पार्टी से जेड़े हुए है लेकिन कविता के मंच से वे कभी पार्टी की बात नहीं करते ना ही कभी करेगें। वे एक कवी है और मेरी कविता किसी भी पार्टी के नेता की चापलूसी में नहीं बिकेगी।
संयोजक कवी आजात शत्रु का कहना भी कि जिस कवी सम्मलेन का महीने भर पहले से सारा प्रोग्राम तय था उसको दो दिन पहले रद्द करना वह भी राजनैतिक पार्टी के लाभ और हानि को देखते हुए जो बिलकुल गलत है। एक तरह से यह साहित्य और कविता का अपमान है। लाखो लोगों की जनता की भावना का अपमान है।
जानकारी के अनुसार डूंगरपुर में होने वाले कवी सम्मलेन की तारीख महीने भर पहले से तय थी। कुमार विशवास की डेट भी पहले ही तय कर राखी थी। डूंगर पुर नगर परिषद् के जिम्मेदारों को भी जब पता था कि डॉ कुमार विशवास आम आदमी पार्टी के नेता है तो उन्हें पहले ही नहीं बुलाया जाता तो कम ए कम साहित्य और कविता का अपमान तो नहीं होता।

 

 

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