मच्छर से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिये मुख्य सावधानियाँ और उपाय – डॉ. काजल वर्मा

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मानसून आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता है,लेकिन मानसून अपने साथ लेकर आता है कई मच्छर जनित बीमारियां। मलेरिया, टायफायड, हैजा, खांसी, सर्दी, बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया और फ्लू इसी मौसम में सबसे अधिक होते हैं। मानसून में सेहत के प्रति सावधानी बरतना बेहद जरूरी हैं। मानसून को

डॉ. काजल वर्मा

खुशनुमा बनाने के लिए थोड़ी सावधानी और घरेलू उपाय काफी हैं। मानसून के साथ ही मौसमी बीमारियां पनपने का खतरा बना रहता है। मुख्यत: बरसात के मौसम में पानी के एकत्रित होने से वेक्टर जनित रोग पैदा होने की संभावना बनी रहती है। इसी को मध्यनजर रखते हुए होम्योपैथी फिजिशियन डॉ. काजल वर्मा इन मौसमी बीमारियों को पनपने से पहले ही रोकथाम करने की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहीं है . इनके कारण बचाव व नियंत्रण किस तरह किया जाए इसके लिए आप पूरा आलेख पढ़िए .

बीमारियों के कारण व् रोकथाम व बचाव के उपाय

1. मलेरिया,डेंगू और चिकुनगुनिया विशेष प्रकार के मादा मच्छर के काटने से फैलता है। मलेरिया एनाफिलीज और डेंगू -चिकुनगुनिया एडीज मच्छर के काटने से फैलता है।

2. मादा मच्छर ही मानव या पशुओं को काट खून पीती है जबकि नर मच्छर फूलों के मकरन्द पर जिंदा रहता है।

3. मादा मच्छर पानी में अंडे देती है। अंडे से लारवा फिर प्यूपा और इससे व्यस्क मच्चर विकसीत होता है। लार्वा को हम नष्ट करने के लिये MLO (मलेरिया लारवीसाइड ऑइल जिसमे मिट्टी का तेल, जला काला तेलऔर डीजल 1:3:6 के अनुपात में होता है) और अन्य कीटनाशकों का प्रयोग कर सकते हैं।

4. घरों के अंदर घड़ों, कूलर, हौदियो, फूलदान, मनी प्लांट, नारियलों के खोल व अन्य पात्रों में 7 दिन से ज्यादा पानी खड़ा ना होने दें। 7 दिन में एक बार सुखाकर ही इन्हें वापिस पानी से भरें।
सप्ताह में एक दिन ड्राई डे के रूप में ज़रूर मनाए जिसके अंतर्गत सभी स्थानों से पानी को पूर्णत: खाली करके सुखायें।

ध्यान रहे, पानी इकट्ठे होने की जगह जो चाहे परिण्डे जितनी छोटी या पानी के टैंक जितनी बड़ी क्यों न हो, जैसे टँकीया, खेळी, कूलर, मनी प्लांट, डी फ्रॉस्ट ट्रे, आदि को सप्ताह में एक बार खाली कर, रगड़ कर साफ कर, सुखा कर, ही वापिस भरें ताकि वे कभी मच्छरों के अंडे देने/ ब्रीडिंग के स्थान के रूप में विकसित न हो सकें!!

5. गड्डो को मिट्टी से भर दें, पानी के निकास के लिए नाली बनाये ताकि पानी इक्कट्ठा होकर मच्छर पैदा होने कीजगह न बन सके।

6. बावड़ियों, नाडी-पोखरों, तालाबों, जोहड़ों आदि और उन खेलियों-फव्वारों जिनमे सदैव पानी भरा रहता हो उनमें लार्वा भक्षक मछलियाँ गम्बुजिया या गप्पी डाल दी जानी चाहिए।

7. यदि मछली डालना भी संभव ना हो तो उन पानी के स्त्रोत में लारवानाशक दवाइयों जैसे टेमीफ़ोस,मलेरिया लारवीसाइडल आयल,बैटेक्स इत्यादि का छिड़काव करें ।

8. घरों के दरवाजों खिड़कियों पर जालीदार दरवाजे लगवाएं। यदि यह सम्भव न हो तो मच्चरदानी का प्रयोग करें। मच्छररोधी कॉइल्स, क्रीम अगरबत्ती, आदि का प्रयोग भी लिया जा सकता है।

9. यथासंभव शरीर को पूरे ढकने वाले कपड़े पहने। बच्चों, बुज़ुर्गों और गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखें।

10. यदि बुखार आये तो प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज करवाएं। प्रचुर पेय पदार्थ ले, सुपाच्य भोजन लें, आराम करें।

11. यदि खून जांच में मलेरिया चिन्हित होता हैं तो पूर्ण मूल उपचार ज़रूर करवायें, वायवेक्स मलेरिया का 14 दिन और फेलसिफेरम मलेरिया का 3 दिन का पूरा आमूल उपचार चिकित्सकीय देखरेख में ही लेवें। मलेरिया की जाँच व इलाज सभी सरकारी संस्थाओं में मुफ़्त उपलब्ध करवाया जाता है।

12. सामान्यतः ड़ेंगू और चिकुनगुनिया बुखार साधारण इलाज और घरेलू देखरेख पर ही ठीक हो जाता है। घबराएं नही, चिकित्सकीय परामर्श अनुसार ही दवा ले।

मच्छरों से बचने के कुछ मूलभूत उपाय:-

MLO – मलेरिया लारवीसाइड ऑइल सोलुशन बनाने की विधि
K केरोसिन 1 लीटर
B बर्न्ट आयल 3लीटर
D डीजल 6 लीटर
उपयोग: बाहर भरे -फैले हुए पानी मे, गड्डो में भरे पानी मे, नालियो मे भरे पानी मे जएन्टी लारवल एक्टिविटी हेतु। 20 ml प्रति लीनियर मीटर यानी लगभग दो हाथ जगह इक्कट्ठे पानी मे 20 ml। यदि MLO पानी मे डालने के बाद सतह पर फैलता नही तो वह सही रेश्यो में नही बना हुआ और प्रभावी, गुणकारक नही।

टेमिफॉस सोलुशन बनाने की विधि
0.5 ml टेमिफॉस 2 लीटर पानी में घोल बनाये
फिर 1000 लीटर(1*1*1 क्यूबिक मीटर) पानी मे 20 ml सोलुशन डाले। यह उन जल स्त्रोतों टँकी/ खेळी/ फर्मे/कूलर आदि में डाले जो पानी इकट्ठा रखने के काम आते है पर खाली नही करवाये जा सकते। अतिरिक्त पानी की मात्रा में इसी अनुपात में डोज भी अतिरिक्त हो जाएगी।
उपयोग: घरेलू पानी की टंकी / कूलर/ में antilarval एक्टिविटी हेतु।

फोगिंग /फोकल स्प्रे हेतु पायरेथ्रम घोल तैयार करना
1लीटर पायरेथ्रम 19 लीटर डीजल/केरोसिन में घोल बनाकर फोगिंग मशीन में , फोगिंग हेतु या मलेरिया PF, डेंगू चिकनगुनिया केस चिन्हित होने पर फोकल स्प्रे में। बाजार में उपलब्ध विभिन्न डोमेस्टिक मोस्क्विटो स्प्रे भी काम लिए जा सकते है। बन्द कमरे में खिड़की दरवाजे भली प्रकार से बंद कर, खाने पीने की वस्तुओं को ढक कर रखें, कमरे के साइज के हिसाब से हवा में छिड़काव करें, 30-45 मिनट कमरे को बंद रखें।

साधारण और घरेलू उपाय करके भी मच्छरों से बचा जा सकता है स्वंय भी बचे और अपनों को भी बचाएं

ख्याल रहे, पानी ठहरेगा जंहा, मच्छर पनपेगा वँहा……..

आखिर जान है तो जहान है

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