ठेले ओर खोमचे वालों ने कर रखा है अतिक्रमण
उदयपुर, झीलो को लेकर प्रशासन कोर्ट और झील संरक्षण समिति इतनी चिंताए जताते है , योजनाएं बनाते है यह सारे दावें ओर योजनाएं दुधतलाई का नजारा देख कर धरे के धरे रह जाते है दूध तलाई के हाल अंधेर नगरी चौपट राजा जैसे है।
हाईकोर्ट, प्रशासन ओर नगर परिषद की सारी सख्ती के बावजूद दूधतलाई पर हाल बेहाल है दूध तलाई की सफाई की बात करे तो नगर परिशद ने तो मानों यहां से पल्ला झाड रखा हो पूरी तलाई मे काई, बडी बडी घास, प्लास्टिक के कचरे का अम्बार लगा हुआ है। जिसे साफ करने की किसी ने सुध नहीं की है। यहां सबसे अधिक टयूरिस्ट आते है एक तरफ पिछोला ओर एक तरफ दूधतलाई होने से यह छोटी सी पाल पर्यटको के आकष्रण का केन्द्र होती है। यही पर दो सुंदर गार्डन माणिक्यला वर्मा और पण्डित दीनदयाल पार्क है और यही पर रोप वे भी है। यहां आने वाले पर्यटको को दूधतलाई में फैली गंदगी से उठने वाली दुर्गन्ध का सामना करना पडता है। नगर निकाय का इस ओर ध्यान नहीं है अगर नगर परिषद सभापति या स्वास्थ्य सफाई समिति अध्यक्ष से पूछो तो सफाई का ठेका नहीं हुआ कह कर टाल देते है। ऐसे ही यहां के अतिक्रमण का हाल है पूरी दूधतलाई की पाल पर ठेले ओर खोमचे वालों का राज है। तथा नो प्लास्टिक जोन होते हुए भी प्लास्टिक की थेली आदि का इस्तेमाल धडल्ले से हो रहा है। ठेले वालों का यह आलम है कि एक चाय के ठैले वाले ने रेलिंग तोड ठेला अंदर घुसा रखा है उसने अपनी दादागिरी के चलते पांच अन्य ठेले नारियल पानी, कोल्ड ड्रिंक, पकौडी आदि के ठेले लगा रखे है जिसको कोई रोकने वाला नहीं है। वाटर वक्र्स के बाहर एक कट में ४ ठेले लग चुके है।
संभागीय आयुक्त भी फतहसागर की चिन्ता और वहां की साफ सफाई पर ध्यान देते है यहां कहीं किसी का ध्यान नहीं इसलिए शहर के सुंदर पर्यटक स्थल पर गंदगी के साथ साथ अव्यवस्थाओं का राज है।