उदयपुर। थर्ड से सेकंड ग्रेड में हुई डीपीसी प्रक्रिया में अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए बीकानेर निदेशालय से गठित चार सदस्यीय टीम गुरुवार को उदयपुर पहुंची। टीम ने डीपीसी से जुड़ी परिवेदनाओं तथा पदस्थापना संबंधित दस्तावेजों की जांच की। सदस्य शुक्रवार को दस्तावेज लेकर वापस बीकानेर जाएंगे, जहां इनकी जांच होगी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में डीडी माध्यमिक में सेवारत वरिष्ठ लिपिक लक्ष्मीकांत दशोरा को संस्थापक से हटाकर सामान्य शाखा में भेजा गया है।
यह आदेश जांच टीम की सूचना पर शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने जारी किए हैं। भास्कर से बातचीत में जांच समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद्र मावर ने बताया कि उपनिदेशक कार्यालय में करीब 2500 परिवेदनाएं मिली हैं। जांच में परिवेदनाओं के साथ पदोन्नति, पदस्थापन संबंधित दस्तावेज शुक्रवार तक मांगे गए हैं।
उपनिदेशक ने आज ही संभाला पदभार : शिक्षा विभाग (माध्यमिक) के उप निदेशक पद पर भरत मेहता ने गुरुवार को ही पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले यह पद कृष्णा चौहान संभाल रही थी। पदभार ग्रहण करते ही मेहता को सबसे पहले वरिष्ठ लिपिक को हटाना पड़ा।
जिला परिषद ने एसीबी से जांच का प्रस्ताव पास किया
शिक्षकों की पदोन्नति व पदस्थापना में धांधली की एसीबी से जांच का प्रस्ताव जिला परिषद की साधारण सभा मेें सर्वसम्मति से पास किया गया। इस कार्यवाही के बारे में शिक्षा निदेशालय बीकानेर को अवगत कराया जाएगा। निदेशालय चाहेगा तो इस मामले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच के लिए सौंपा जाएगा।
प्रक्रिया में ये गड़बडिय़ां
1.वरिष्ठता वाले शिक्षकों की डीपीसी होनी चाहिए थी, जबकि ऐसा नहीं हुआ।
2. विधवा, परित्यागता एवं विकलांगों की श्रेणी को अनदेखा किया गया।
3. महिला शिक्षक का जिला ही बदल दिया।
4.डीपीसी में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनियमितता के लगे आरोप।
5.3500 में से 2500 शिक्षक असंतुष्ट हुए, सभी ने परिवेदनाएं सौंपी।
आगे क्या?
1. डीपीसी प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
2. जैसे जैसे जांच रिपोर्ट में खुलासा होगा,आरोपियों के नाम सामने आएंगे।
3. आरोप सिद्ध हो जाने पर नए सिरे से डीपीसी की कार्रवाई हो सकती है।