उदयपुर। कथित धरती के भगवान् कहे जाने वाले डॉक्टर अपनी हटधर्मिता और शैतानियत पर इस तरह आमादा है कि उदयपुर जिले के ही 32 मरीजों को ये शैतान जिन्दा खा गए है। इसके बावजूद ना तो इनका ईमान जाग रहा है ना ही इनको पेशे की कर्तव्यता याद आरही है। सरकार भी तमाशा देख रही है। गरीब मरीज रुपयों के अभाव में सरकारी अस्पतालों की दहलीज पर बिना इलाज के एडियाँ रगड़ रहे है और शैतानियत पर उतरे डॉक्टर मजबूरों की लाशों पर जश्न मना रहे है।
सेवारत चिकित्सकों एवं रेजीडेंट्स की हड़ताल से मरीज की जान के लाले पड़े हुए है बिना इलाज के मरीजों की मोटों का सिलसिला भी नहीं थम रहा। इधर डॉक्टर्स की हड़ताल का फायदा अस्पताल के कार्मिक भी उठा रहे हैं। अस्पताल के प्रशासनिक भवन में कार्मिक समय पर मिलते ही नहीं है। ऐसे में भर्ती मरीज के परिजन को बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हड़ताल के 11 वें जिला प्रशासन भी अस्पताल की सुध लेने के लिए पहुंचा। वहीं अस्पताल में डॉक्टर्स नहीं मिलने पर अस्पताल करीब करीब खाली हो गया है। छोटी मोटी बिमारी में भी अब मरीज निजी चिकित्सालयों का रुख कर रहे है। अस्पताल की व्यवस्थाएं अब पूरी तरह से चरमराने लगी हैं।
संभाग सहित आजपास के राज्यों मध्यप्रदेश और राजस्थान से सटी गुजरात सीमा के कई लोग रहा एम् बी चिकित्सालय में इलाज करवाने के लिए आते है। पिछले ११ दिनों से डॉक्टरों की चल रही हड़ताल के कारण अब तक जिले में ३२ जिंदगियां भेंट चड़ चुकी है। जिन मरीजों की थोड़ी भी माली हालत ठीक है वह गुजरात का रुख कर लेते है लेकिन गाँव और गरीब मरीज, भगवान् कहे जाने वाले डॉक्टरों की जिद और हटधर्मी की भेंट चड रहे है।
ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और भी खराब हैं। यहां पर डॉक्टर ही नहीं है। देवला निवासी मोखी राम की बीती रात तबीयत खराब हो गई। हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया और बोली भी बंद हो गई। आनन-फानन में परिजन थोड़े रुपयों का जुगाड़ कर किराये की टैक्सी कर आर एन टी मेडिकल कोलेज के एमबी चिकित्सालय पहुंचे। परिजन ने बताया कि देवला में चिकित्सक नहीं मिले, गोगुन्दा आदि आसपास के कस्बों में भी कोई बड़ा डॉक्टर नहीं था। नर्सिंग कर्मियों ने सलाह दी कि यदि मरीज का उपचार करवाना है तो उदयपुर के एमबी अस्पताल ले जाओ। यहां आने पर पता चला कि जो हालात गांवों में वैसे ही हालात यहां पर भी बने हुए हैं। मजबूर परिजन रुपयों का इंतज़ाम कर निजी चिकित्सालय ले गए।
अब स्वाइन फ्लू की मार :
एक तरफ डॉक्टरों की हड़ताल और दूसरी तरफ छोटी सादड़ी में दो बच्चियों की मौत से हडकंप मच गया। बुखार से हुई मौत को चिकत्सा विभाग स्वाइन फ्लू से हुई मौत मान रहा है। उपखंड मुख्यालय के बंबोरी गांव में सोमवार और मंगलवार रात्रि को 24 घंटों के भीतर भराड़िया परिवार की दो बच्चियों की अचानक बुखार से मौत हो गई। एडीएम हेमेन्द्र नागर के निर्देश के बाद सीएमएचओ डॉ. ओपी बैरवा के निर्देशन में टीम बंबोरी गांव भेजी। टीम ने गांव में घटना की जानकारी ली और ग्रामीणों को टेमी फ्लू दवाइयां बांटी। बच्चियों के परिजन भी उपचार के लिए अहमदाबाद गए हैं। सीएमएचओ डा. ओपी बैरवा ने बताया कि जानकारी के बाद मौके पर तुरंत चिकित्सा टीम भेज दी है। ग्रामीणों को दवाइयां वितरित की गई है। कमलेश भराडिया और उसका परिवार अहमदाबाद में है। गांव में गंदगी के कारण मच्छरों की बात भी सामने आई है। बच्चों को कुछ दिनों से जुकाम और खांसी की शिकायत थी।