उदयपुर, नवजातों के लिए पन्नाधाय चिकित्सायल में स्थापित दिव्या मदर मिल्क बैंक शिशुओं के लिए सार्थक सिद्घ हो रहा है। [quote_right]संस्थापक देवेन्द्र अग्रवाल के अनुसार यह राजस्थान में ही नहीं पूरे उत्तर भारत क्षैत्र में प्रथम मिल्क बैंक है जहां यह सुविधा आरंभ की गई है। [/quote_right]वहीं झिझक छोड कर महिलाएं अपना दूध दान करने भी पहुंच रही है। और अनजाने बच्चों के लिए माताएं खुद आगे आरही है मिल्क बेंक शुरू होते ही ६२ यूनिट दूध माताओं द्वारा दान किया गया ।
उलेखनीय है कि मां भगवती विकास संस्थान द्वारा स्थापित इस मदर मिल्क बैंक का गत १४ अप्रेल को राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री एमामुद्दीन खान ने उद्घाटन किया था। मां के दूध पर प्रत्येक नवजात का हक है। अमृत समान मां का दूध प्रत्येक रोग का स्वत: उपचार है। प्रत्येक जरूरतमंद शिशु को दूध का हक मिले इसी उद्देध्य को लेकर मां भगवती विकास संस्था द्वारा इस बैंक की स्थापना की गई । यहां चिकित्सक की सलाह के बाद जरूरतमंद नवजात शिशु आने को मां का दूध उपलब्ध् कराया जाता है और अब हर वर्ग की महिलाएं झिझक छोड कर प्रतिदिन दूध दान के लिए स्वयं आ रही है।
मिल्क बैंक की समन्वयक अर्चना शक्तावत एवं सरोज पटेल ने बताया कि पन्नाधाय चिकित्सालय की नर्सरी इन्सेन्टिव केयर यूनिट (एन आईसी यू) में भर्ती नवजात शिशुओं को इस दूध की आवश्यकता होती है। क्योंकि समय पूर्व प्रसव शिशुओं की माताओं में दूध की कमी होती है जबकि शिशु को दूध की अत्यधिक जरूरत होती है। उनहोंने बताया कि बैंक की प्राथमिकता में प्रथम श्रेणी में उपरोक्त शिशु रहेगे। द्वितीय प्राथामिकता उन शिशुओं को दी जाएगी जिनकी माताओं को दूध नहीं आता है तथा तीसरी प्राथमिकता संस्थान में आने वाले अनाथ शिशुओं को दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि हालांकि अभी तक दूध दान करने वाली माताओं की संख्यापर्याप्त नहीं है परन्तु जैसे-जैसे संख्या में वृद्घि होगी प्राथमिकताओं का भी विस्तार होगा।
अर्चना शक्तावत ने बताया कि यहां दान देनी वाली महिलाओं को पहले पूरी तरह संतुष्ट किया जाताहै और स्वस्थ महिला पहले उनके अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद बचे दूध को दान में लिया जाता है। जिसके लिए मेन्युअल और आटोमेटिक मशीन लगी हुई हे। शक्तावत ने बतायाकि दान देने वाली महिला और उसकी दूध का पूरी तरह चेकअप किया जाता है। रिपोर्ट आने के बाद ही उसको उपयोग में लाया जाता है। उपयोग में लाने के पूर्व पुरी तरह आधुनिक लेब में दूध को पाश्चयुराइज्ड किया जाता है इसके बाद स्टेलाटेजेशन मशीन में डाल उसको ३० एमएल की छोटी छोटी बोतलों में जमा कर स्टोरेज किया जाता हे।
समन्वयक सरोज पटेल ने बताया कि अभी धात्री माताओं को समझाने में और उनको समर्थन में थोडी परेशानी आ रही है। दुधदान को लेकर काफी भ्रांतियां है जबकि दूधदान करने वाली महिलाओं को काउन्सलिंग की जाती है कि यह एक पुण्य का कार्य है ओर इससे किसी प्रकार का न तो माता को नही उसके बच्चे को नुकसान है और दान किया हुआ दूध किसी जरूरतमंद के काम आ रहा है।
पटेल ने बताया कि अभी जिन माताओं के बच्चे २ से १० महिने के है उनसे दूध दान देने का आग्रह किया जाता है।
निशुल्क समाज की सेवा: दिव्य मदर मिल्क बैंक में काउन्सलर के तौर पर सारा कामकाज संभालने वाली अर्चना शर्मा और सरोज पटेल यहां निशुल्क सेवा दे रही है। सुबह ९ से शाम ५ बजे तक वह इसी सेवा कार्य में लगी रहती है।