बदलते मौसम में बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं और सीबीसी, मलेरिया एवं डेंगू की जांच रिपोर्ट उन्हें गुमराह कर रही है। एमबी हॉस्पिटल ने एक बुखार पीडि़त की डेंगू जांच रिपोर्ट को नेगेटिव बताकर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली, वहीं निजी लैब में हुई उसी व्यक्ति की जांच में डेंगू के लक्षण सामने आए। ऊहापोह की स्थिति में रोगी एवं उसके परिजन इधर-उधर भटकते रहे।
एमबी हॉस्पिटल में चार अक्टूबर को बेड नंबर 91645 पर भर्ती रोगी विक्रम को मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के तहत जांच के अनुसार डेंगू (रेपिड टेस्ट) नेगेटिव बताया गया। यह देख चिकित्सकों ने रोगी को सामान्य सी दवाइयां देकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। हालत में सुधार नहीं होने पर मरीज ने एमबी हॉस्पिटल की ही निजी लैब में जांच कराई तो उसे डेंगू आईजीजी पॉजिटिव व डेंगू आईजीएम नेगेटिव बताया। मजबूरी में मरीज को नई रिपोर्ट लेकर डॉक्टर्स के पास भटकना पड़ा।
कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों की राय में बुखार से जुड़ी हर जांच एजाइमा के माध्यम से ही होती है। डेंगू जांच की कोई दूसरी आधुनिक सुविधा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बुखार के तीन दिन के भीतर एनएस-1 जांच होती है। इस दौरान डेंगू आईजीजी और आईजीएम नेगेटिव बताता है। एक सप्ताह से बुखार पीडि़त की जांच में एनएस-1 और आईजीजी नेगेटिव आता है, जबकि आईजीएम पॉजिटिव बताता है। दो सप्ताह के बाद बुखार जांचने पर आईजीएम नेगेटिव आता है, जबकि आईजीजी पॉजिटिव बताता है। इसका मतलब यही आंका जाता है कि रोगी डेंगू की चपेट में आया हुआ है। हालांकि, जांच रिपोर्ट के अलावा विशेषज्ञों की सलाह भी इसमें मायने रखती है।
चिकित्सकीय सलाह जरूरी
&किसी भी रिपोर्ट को लेकर चिकित्सकीय सलाह जरूरी है। बुखार के लक्षणों से भी विशेषज्ञ सही सलाह दे सकते हैं। रिपोर्ट डिफाइन होकर मिले तो उपचार प्रक्रिया शुरू करने में सहायता मिलती है।