दिल्ली में युवती से हुए सामूहिक बलात्कार मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में भी बंद कमरे में होगी.
सोमवार को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई सुनवाई शुरु हुई और फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने पिछली अदालत के इस फ़ैसले को बरक़रार रखा कि सुनवाई के दौरान मामले से संबंधित लोगों के अलावा कोई और मौजूद नहीं रहेगा.
फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने पहले दिन सभी पक्षों के बयान सुनने के बाद आरोप तय करने का फ़ैसला किया.
पैरामेडिकल छात्रा के साथ दिल्ली में गत 16 दिसंबर को चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था. इनमें से एक अवयस्क है यानी उसकी उम्र 18 वर्ष से कम है.
सभी छह लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है. इनमें से पाँच के ख़िलाफ़ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चलेगा जबकि अवयस्क अभियुक्त के ख़िलाफ़ मामला किशोर अदालत में चलेगा.
युवती की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.
इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी.
‘एक और अभियुक्त अवयस्क’
सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायधीश योगेश खन्ना की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के बाहर कई मीडियाकर्मी इस उम्मीद में समय से पहले पहुंचे कि उन्हें अदालत के भीतर से रिपोर्टिंग करने की इजाज़त मिलेगी.
कार्रवाई शुरू हुई और अभियुक्तों के वकीलों ने न्यायधीश के सामने दलील रखी कि चूंकि ये जुर्म किसी एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि पूरे समाज के ख़िलाफ़ किया गया है, इसलिए पूरे समाज को ये जानने का अधिकार है कि अदालत के भीतर क्या कार्रवाई होगी.
लेकिन न्यायधीश इस तर्क से संतुष्ट नहीं दिखे और मीडिया को अदालत के बाहर जाने का आदेश दे दिया.
पांच में से दो अभियुक्तों विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के वकील ने दावा किया कि विनय शर्मा की उम्र 18 साल से कम है और इसलिए उसका मामला किशोर अदालत में भेज दिया जाना चाहिए. हालांकि उनके पास ये साबित करने के लिए कोई कागज़ात नहीं थे, लेकिन उन्होंने कहा कि वे पुलिस से अपील करेंगे कि विनय शर्मा की सही उम्र का पता लगाए जाने के लिए उसका बोन टेस्ट किया जाए.
उन्होंने दावा किया कि जिस दिन वारदात हुई उस दिन विनय शर्मा बाकी पांच आरोपियों के साथ था ही नहीं.
इससे पहले छठे अभियुक्त की सही उम्र पता लगाने के लिए उसका बोन टेस्ट किया गया है जिसकी रिपोर्ट कुछ ही दिनों में आने की संभावना है.
मामले में एक दूसरा मोड़ तब आया जब एपी सिंह ने दावा किया कि उन्हें फोन पर धमकियां मिल रही हैं कि अगर उन्होंने ये केस नहीं छोड़ा तो उन्हें गंभीर नतीजों का सामना करना पड़ सकता है.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अभियुक्त मुकेश सिंह के वकील की उस अपील पर सुनवाई होगी जिसमें उन्होंने इस केस को दिल्ली से बाहर भेजने की अर्ज़ी लगाई है.
दूसरे अभियुक्तों के वकीलों ने भी इस केस को बाहर ट्रांसफर करने की इच्छा ज़ाहिर की है क्योंकि उनका कहना है कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शनों का असर इस मामले के नतीजों पर पड़ सकता है.
सो.बी बी सी