देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी और लू की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या 2207 हो गई है। इंटरनेशनल डिजास्टर डेटाबेस के मुताबिक यह दुनिया की पांचवीं सबसे भयानक और भारत की दूसरी सबसे बदतर गर्मी है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार आंकड़ों के मुताबिक भारत में इससे पहले 1998 में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी थी, जिसमें 2,541 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं विश्व में सबसे ज्यादा गर्मी 2003 में यूरोप में पड़ी थी जिसमें 71,310 लोगों की मौत हुई थी।
भारत में मरने वालों की संख्या
विश्न की टॉप दस आपदाओं में भारत की हीटवेव को चार बार शामिल किया गया है, जिनमें 1998, 2002, 2003 और 2015 है। भारत में 1998 में हीटवेव से मरने वालों की संख्या अब तक सर्वाधिक 2,541 रही है। वहीं 2002 में 1,030, साल 2003 में 1,210, साल 2015 में यह आंकड़ा 2, 200 के पार चला गया है।
2015 में फिलहाल आंकड़ा 2207 पहुंचा
पूरे देश में लू और भीषण गर्मी से मरने वालों की संख्या शनिवार को 2207 पहुंच गई है। इस दौरान महाऱाष्ट्र के नागपुर में सबसे ज्यादा 47.1 तापमान डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मरने वालों में सर्वाधिक आंकड़ा आंध्र प्रदेश (1636) और तेलंगाना (541) का है। इसके अलावा ओडिशा से 21, गुजरात से सात और दिल्ली में दो लोगों के लू से मरने की खबर है।