छात्र हित दरकिनार – अपने हितों को साधने के लिए एबीवीपी में मिल गई
उदयपुर । एबीवीपी से बगावत कर जो संगठन सिर्फ छात्र हितों के लिए खडा हुआ था और जिसने २००४ से २०११ तक जीत की हेट्रिक बनाई थी वह सीएसस ( छात्र संघर्ष समिति ) का आज खात्मा हो गया | छात्र हितों को दरकिनार करते हुए अपने हितों को ध्यान में रख छात्र संघर्ष समिति ने एबीवीपी को अपना समर्थन दे दिया। सीएसस और एबीवीपी को गले मिलते देख जो छात्र राजनीति से दूर सिर्फ छात्र हितों के लिए इस संगठन से जुड़े थे, वो अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है । सीएसएस के कई पदाधिकारी इस इस फैसले से काफी गुस्सा और नाराज़ है।
आज सीएसस ने होटल रॉयल इन में पत्रकार वार्ता के दौरान एबीवीपी को अपने समर्थन देने की आधिकारिक घोषणा कर डाली इसी घोषणा के बिच सीएसस के पदाधिकारी वीरेंद्र सिंह सिसोदिया ने आकर हंगामा कर दिया और सीएसस के पदाधिकारियों को जम कर लताड़ लगाईं कि ऐसी क्या मुसीबत आगई कि ११ सालों से चले आरहे इस संगठन का खात्मा कर एबीवीपी में मिलाने की घोषणा कर रहे हो । सिसोदिया ने लताड़ लगाते कहा कि जो छात्र ११ सालों सीएसस से जुड़े हुए है उनके साथ विशवास घात किया जारहा है। सीएसस के पदाधिकारियों को भी घंटे भर पहले सूचित किया जा रहा है। यहां तक कि उन्होंने सीएसस का प्रत्याशी गौरव शर्मा व् उसके साथियों को भी लताड़ लगाईं कि तुम्हे क्या दे कर खरीदा गया है। बाद में उन्हें सीएसस के पदाधिकारी और भाजपा नेता अलग लेगये और समझाइश कर शांत किया ।
इधर पत्रकार वार्ता के दौरान सीएसस के संस्थापक अशोक शर्मा ने कहा की सीएसस और एबीवीपी एक ही माँ के दो बेटे थे जिनका आज मिलन हो गया । उन्होंने कहा की सोनू अहारी एक उपयुक्त प्रत्याशी है, जिसका समर्थन हम करते है, हम कभी एबीवीपी से अलग नहीं हुए है, हमारी और एबीवीपी की विचार धारा एक ही है । अशोक शर्मा ने माना की उनके इस फेसले से २० प्रतिशत छात्र नाराज़ है लेकिन उनको मनाने के हर प्रयास किये जायेगें । एबीवीपी के प्रदेश संयोजक देवेन्द्र सिंह चुण्डावत ने भी कहा कि एबीवीपी और सीएसस दो भाई की तरह ही है । जो किन्ही कारणों के चलते अलग हुए थे लेकिन अब एक है । दोनों का मकसद एनएसयुआइ को हराना है । चुण्डावत ने कहा की हमारी आपस की लड़ाई में पूर्व में एनएसयूआई पिछले वर्ष जीत गयी लेकिन अब नहीं जीतेगी । इस दौरान सीएसस के संस्थापक अशोक शर्मा, केलाश शर्मा, संयोजक सूर्य प्रकाश सुहालका, और पूर्व अध्यक्ष दिलीप जोशी रवि शर्मा, मोजूद थे साथ ही एबीवीपी के देवेन्द्र सिंह, विष्णु शंकर पालीवाल, नीरज अग्निहोत्री व् अन्य पदाधिकारी और भाजपा नाना लाल वाया सहित अन्य नेता भी मोजूद थे ।
११ सालों का संगठन ख़त्म :
११ वर्ष पहले छात्र हितों का हवाला देते हुए एबीवीपी और भाजपा से अलग हुए अशोक शर्मा कैलाश शर्मा, दीपक शर्मा रविशर्मा, सूर्य प्रकाश सुहालका आदि ने मिल कर सीएसएस ( छात्र संघर्ष समिति) का निर्माण किया था और २००४ में रवि शर्मा को खडा कर जीत हासिल की थी उसके बाद पांच साल चुनाव बंद होने के बाद सीएसस ने फिर जीत हासिल की और २०१० में दिलीप जोशी अध्यक्ष बने २०११ मे परमवीर सिंह चुंडावत सीएसस से अध्यक्ष बने और २०१३ में अमित पालीवाल सीएसस के प्रत्याशी बन एमएलएसयू केन्द्रीय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने । ११ साल से चला आरहा यह संघठन आज एक तरह से ख़त्म हो गया और एबीवीपी में विलय हो गया | इससे जुड़े कई छात्र और पदाधिकारी इस फैसले से खुश नहीं है | कई पदाधिकारी पिचले ११ वर्षों से इस संघठन से जुड़े हुए है जिसमे सूर्य प्रकाश सुहालका भी है, जिन्हें संथापक सदस्य मना जाता है और जो सीएसस के संयोजक है । वे भी उपरी मन से भले एबीवीपी के साथ है, लेकिन इस फेसले से खुश नहीं है । यही नहीं कई छात्र नेता और छात्र जो की गोरव शर्मा का समर्थन में थे वे भी इस फेसले से नाराज नज़र आये ।
लाखों के चुनाव बना कर सीएसस जा रही है :
छात्र संघ चुनाव में अचार संहिता के चलते जो चुनाव की सीमा पञ्च हज़ार है, और 11 वर्ष पहले मुश्किल से २५ से ५० हज़ारों में ही ख़त्म हो जाते थे उन छात्रसंघ के चुनावों के खर्चों को लाखों तक पहुचाने वाला संघठन सीएसस है । सीएसस के आने के बाद ही छात्र वोटरों को पीवीआर में फिल्म दिखाना, रिसोर्ट में पार्टी, छात्र वोटरों को लुभाने के लिए किये जाने वाले भोज आदि सीएसस आने के बाद शुरू हुए जिससे आज चुनावी खर्चा ३० से ४० लाख तक पहुच गया है । आज वही सीएसस अपने हितों के चलते छात्रों के इन चुनावों को इतना खर्चीला बना कर एबीवीपी में विलय हो गयी है ।