उदयपुर। चित्तौडग़ढ़ के सावा कस्बे में डम्पर की चपेट में आए युवक की मौत के बाद भड़के दंगे में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बिचौलिये की भूमिका निभाई और सावा के शेर खान से मृतक के परिजनों को २० लाख का मौताणे का चेक दिलवाया है। जबकि शुक्रवार को ही राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचआर कुड़ी ने मौताणा मामले में पुलिस को बिचौलिये की भूमिका निभाने से बचने के निर्देश दिए थे। हालांकि शेर खान ने कहा है कि उन्होंने किसी को कोई मौताणा नहीं दिया है और ना ही पुलिस व प्रशासन के दबाव में कोई राशि दी है। उन्होंंने कहा कि कस्बे में शांति व्यवस्था बनी रहे। इसके लिए यह मुआवजा टैंकर मालिक से दिलवाया गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कभी यहां पर हिंदु-मुस्लिम दंगें नहीं हुए हैं। यह पहला मौका है, जब बाहरी तत्वों ने आकर इस घटना को अंजाम दिया है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को सावा में डम्पर की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई थी। बाद में ग्रामीणों द्वारा आगजनी और तोडफ़ोड़ की गई। बाद में कुछ लोग ख्वाजा बाग स्थित मोहम्मद शेर खान के ख्वाजा बाग मकान में तोडफ़ोड़ के लिए गए, जिन्हें फायरिंग करके खदेड़ा गया।
: आजादी के बाद सावा में कभी हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ। यहां सभी भाईचारे से रहते हैं। सिर्फ कुछ शरारती तत्वों ने इस हरकत को अंजाम दिया है। हमने 20 लाख रूपए सिर्फ गांव में शांति व्यवस्था बहाली और गांव के बच्चे के परिवार की सहायता के लिए दिए हैं।
-मोहम्मद शेर खान, मार्बल व्यवसायी, सावा
घटना को लेकर सावा व्यापरियों का बंद: कल की घटना और बचे लोगों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सावा के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं। व्यापारियों की मांग है की कल फायरिंग की घटना व आगजनी में शामिल कई लोगों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिनको गिरफ्तार किया जाए।
समय पर पुलिस पहुंचती तो घटना नहीं होती: सूत्रों के अनुसार डम्पर की चपेट में युवक के आने पर डम्पर चालक को सीधा स्थानीय लोग थाने में ले गए और सरेंडर करवाया। इसके बाद भी पुलिस ने तुरंत एक्शन नहीं लिया, जिससे मामला बढ़ गया। कुछ उपद्रवियों ने मिलकर आगजनी कर दी, जिससे घटना ने सांप्रदायिक रूप ले लिया।
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