पिछली बार कांग्रेस और इस बार भाजपा के खाते मेें हैं ज्यादा विधानसभा सीटें
उदयपुर। चुनावी चौसर बिछने के बाद उदयपुर संसदीय क्षेत्र में अब भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ‘चुनावी रणÓ में आमने-सामने हैं। यहां पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है, लेकिन आप, माकपा, भाकपा, सपा सहित अन्य राजनैतिक दलों के प्रत्याशी भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार राजनैतिक समीकरण और हालात बदले-बदले से है। ऐसे में दोनों ही प्रमुख उम्मीदवार कांग्रेस के रघुवीर मीणा और भाजपा के अर्जुनलाल मीणा के लिए जीत की राह आसान नहीं है। यहंा पर जहां अर्जुन मीणा को भाजपा और मोदी लहर से जीत की आस है, वहीं रघुवीर मीणा को अपने कार्यकाल में कराए गए कार्यों और वर्तमान में सांसद रहते गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक खुद की पकड़ पर भरोसा है।
कटारिया की प्रतिष्ठा दांव पर
इस लोकसभा चुनाव में उदयपुर सीट को लेकर मेवाड़ के कद्दावर नेता पंचायती राज मंत्री व उदयपुर के विधायक गुलाबचंद कटारिया की प्रतिष्ठा दांव पर है। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के खाते में है और विधानसभा चुनाव में मेवाड़ में भाजपा का परचम लहराने का श्रेय अगर गुलाब चंद कटारिया को जाता है, तो उदयपुर लोकसभा सीट को जिताने की जिम्मेदारी भी कटारिया की बनती है।
यू बदले हैं समीकरण
2009 के लोकसभा चुनाव अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस का कब्जा था और दो पर भाजपा का। अब स्थितियां अलग हंै। सात पर भाजपा है और एक पर कांग्रेस। हालांकि अगर आठ विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर भाजपा और कांग्रेस में जीत का अंतर निकालें, तो दो लाख मत विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में ज्यादा पड़े हैं, जो लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा अंतर नहीं है। इसलिए मोदी और भाजपा लहर के बावजूद भाजपा के अर्जुन मीणा को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र
उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें उदयपुर, उदयपुर ग्रामीण, झाड़ोल, गोगुंदा, सलूंबर, आसपुर, धरियावद और खेरवाड़ा है। उदयपुर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्र ग्रामीण और आदिवासी बाहुल्य है।
चुनावी चौसर में इस बार उलटे पडं़ेगे पासेे
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