ऐसा फोन जिसे तोड़-मरोड़कर जेब में डालो

Date:

कल्पना कीजिए कि आप अपने मोबाइल फोन को एक कागज़ के टुकड़े की तरह इस्तेमाल कर पाएं.

 

इसे मोड़िए, गिरा दीजिए या फिर तोड़ मरोड़ कर अपनी जेब में रख लीजिए और जब जरूरत हो तो बिना किसी नुकसान के इसका फिर से इस्तेमाल कीजिए.

शोधकर्ता आजकल ऐसे लचीले मोबाइल फोन पर काम कर रहे हैं, जो बेहद पतला और कागज की तरह मोड़ कर रखा जा सकेगा.

 

इस तरह के लचीले फोन के नमूने गैजेट शो में पहले से ही जनता को लुभा रहे हैं.

 

लेकिन अब इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि अगले साल यानी 2013 तक इस तरह का पहला फोन बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा.

 

एलजी, फिलिप्स, शार्प, सोनी और नोकिया जैसी कंपनियां इस तकनीक पर पहले से ही काम कर रही हैं, लेकिन खबरों के मुताबिक बाज़ार मे उतरने वाला ऐसा सबसे पहला फोन दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग ला सकती हैं.

सैमसंग लचीली तकनीक का पक्षधर है और उसे पूरा भरोसा है कि ये दुनिया भर में उपभोक्ताओं के बीच बहुत लोकप्रिय होगा.

 

तकनीक

 

सैमंसग के प्रवक्ता का कहना है कि इन फोन की स्क्रीन मुड़ने वाली और बेहतर तो होगी ही. साथ ही ये परंपरागत एलसीडी टेक्नोलॉजी की तुलना में प्लास्टिक की तरह ही हल्की और पतली होगी.

 

कई तकनीकें हैं जिनके जरिए स्मार्ट फोन को लचीला बनाया जा सकता है. इसके पीछे ये अवधारणा है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लचीला बनाया जाए, साथ ही उनके साथ जुड़ने वाली चीज़ों को भी ऐसे पदार्थों से बनाया जाए जो लचीले हों.

 

1960 के दशक में पहली बार लचीला सौर सेल प्रदर्शित किया गया था. 2005 में फिलिप्स ने पहली बार एक लचीले नमूने का प्रदर्शन किया.

 

पूरी तरह से लचीले उत्पाद बनाने के लिए जरूरी है कि उसके सभी हिस्से भी लचीले हों. डिस्पले के अलावा बाहरी आवरण और उसकी बैटरी का भी लचीला होना जरूरी है.

 

आश्चर्यजनक सामग्री

 

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आंद्रे फेरारी भविष्य के लचीले पदार्थों पर काम कर रहे हैं. वो इसके लिए ग्रैफीन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

 

ये पदार्थ 2004 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में काम करने वाले दो रूसी वैज्ञानिकों ने बनाया था. ग्रैफीन कार्बन के अणुओं से बनी एक चादर है. और ये हीरे से ज्यादा मजबूत है. न सिर्फ ये पारदर्शी और हल्की है बल्कि बेहद लचीली हे शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्रैफीन और सिलिकॉन भविष्य के इलेक्ट्रानिक उपकरणों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं.

 

नोकिया के लिए काम कर रहे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फेरारी बताते हैं, “हम लचीले, पारदर्शी डिस्पले पर काम कर रहे जो भविष्य के लचीला फोन, टेबलेट, टीवी और सौर सेल का हिस्सा बन सकता है”

 

उनका कहना है, “सैमसंग इस क्षेत्र में वास्तव में काफी उन्नत है, लेकिन हमने यहां कैम्ब्रिज में नोकिया प्रोटोटाइप पर कुछ अच्छा काम किया है.”

 

वो कहते हैं कि ग्रैफीन न सिर्फ लचीला फोन बनाने बल्कि उसकी गुणवत्ता बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा, क्योंकि एक सिद्धांत के रुप में एक लचीले हैंडसेट की बैटरी भी इसी सामग्री से बनाई जा सकता है.

 

चाहे कोई भी तकनीक क्यों न हो, लगता है कि जल्द ही आपके हाथों में ऐसा फोन होगा जो न सिर्फ स्मार्ट होगा बल्कि लचीला भी.

 

 
सो .बी बी सी

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Get prepared to relate solely to like-minded singles

Get prepared to relate solely to like-minded singlesIf you...

Ready to simply take the leap? begin your adventure today

Ready to simply take the leap? begin your adventure...

Find the right match for you

Find the right match for youIf you are considering...