केंद्र सरकार का आखिरी बजट गुरूवार को होगा पेश, खासोआम की थमी सांसे, जेटली देंगे तोहफा या हाथ आएगी केटली।

Date:

पोस्ट न्यूज़। देश की मोदी सरकार अपना अंतिम पूर्णकालिक budget 2018 एक फरवरी यानि गुरूवार को पेश करने जा रही है। केंद्रीय वित्तसेवक अरुण जेटली इस आम budget 2018 को संसद के पटल पर रखेंगे। वैसे अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माना जा रहा था कि यह बजट लोकलुभावन हो सकता है. लेकिन प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने टीवी इंटरव्यू में कह दिया कि लोगों को मुफ्त की चीजें नहीं बल्कि ईमानदार शासन पसंद है. ऐसे में अब कयास लग रहा है कि आखिर कैसा होगा यह बजट ? हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि चुनावी वर्ष में सरकार खजाना न खोले, ऐसा हो पाना मुमकिन नहीं. ऐसे में जेटली के सामने एक बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सामने रख महंगाई और विकास दर में संतुलन बिठाना होगा. सरकार यह कतई नहीं चाहेगी कि चुनावी वर्ष में विपक्ष उस पर महंगाई बढ़ाने की तोहमत लगाए. ऐसे में सरकारी खर्च पर सबकी नजरें करीब से लगी रहेंगी. आंकलन तो यह भी है कि इस साल के मध्य तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन को पीछे छोड़ कर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी. चुनावी वर्ष में सरकार के लिए अपनी पीठ थपथपाने का यह एक बड़ा मौका हो सकता है. एक बड़ा सवाल यह भी है कि सरकार चुनावी वर्ष में खर्च करने के लिए पैसा कहां से लाएगी. कहा जा रहा है कि विनिवेश के नए मौके खोजे जाएंगे. वहीं गुजरात चुनाव में ग्रामीण इलाकों में बीजेपी की हार के बाद यह सवाल उठने लगा है कि देश भर में कृषि क्षेत्र में छाए संकट को दूर करने के लिए सरकार क्या उपाय कर रही है ? स्वयं प्रधानसेवक ने भी टीवी इंटरव्यू में इस संकट के बारे में स्वीकार किया है और इसके लिए आवश्यक उपाय उठाने का आश्वासन दिया है. याद रहे कि पिछले बजट में सरकार ने अगले पांच वर्षों में यानी 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन कृषि विकास दर में कमी इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के पूरा होने पर सवालिया निशान लगा रही है. किसानों की आत्महत्या और उपज के सही दाम न मिल पाना राज्य सरकारों के सामने बड़ी चुनौती है. बीजेपी के लिए यह ज्यादा बड़ी परेशानी है क्योंकि सहयोगियों के साथ 19 राज्यों में उसकी सरकार है. युवाओं को रोजगार एक ऐसा मुद्दा है जिस पर मोदी सरकार को अगले चुनाव में कई सवालों के जवाब देने हैं. हालांकि पीएम मोदी कह रहे हैं कि रोजगार के आंकड़े जुटाने के तरीके ठीक नहीं हैं और वह स्वरोजगार के बढ़े अवसरों का जिक्र करते हैं. लेकिन बजट एक ऐसा अंतिम अवसर है जिसमें सरकार युवाओं के रोजगार को बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है.साथ निजी निवेश के लिए सरकार कुछ प्रोत्साहन के कदम घोषित कर सकती है. हर चुनाव से पहले मध्यम वर्ग बड़ी आस से सरकार की ओर देखता है. हालांकि जीएसटी लगने के बाद अप्रत्यक्ष कर अब बजट का हिस्सा नहीं होंगे. ऐसे में मध्य वर्ग की पूरी आशा प्रत्यक्ष कर यानी आयकर पर आकर टिक जाती है. वैसे इतिहास गवाह है कि चुनाव से पहले के अंतिम पूर्ण बजट में सरकारें मध्यम वर्ग को आयकर की दरों में कोई बड़ी राहत देने से बचती रही हैं. बजट लोक लुभावन न होने के पीएम मोदी के इशारे से भी मध्यम वर्ग की उम्मीदों को झटका लगा है. हालांकि जानकार कहते हैं कि हाल के सारे चुनावों में बीजेपी का मजबूती से साथ देने वाले मध्यम वर्ग को दरकिनार करना सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल होगा. इसलिए संभावना व्यक्त की जा रही है कि आय कर की दरों में मामूली राहत जरूर मिलेगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Find love on the most useful dating apps for asexuals

Find love on the most useful dating apps for...

Tips for meeting and dating other bisexual men

Tips for meeting and dating other bisexual menIf you...

Unleash your passions and enjoy a brand new dating experience

Unleash your passions and enjoy a brand new dating...