महाराष्ट्र में सूखा बहुत बड़ा संकट लेकर आया है। इसे पिछले 40 सालों का सबसे भयंकर सूखा माना जा रहा है। सूखे की मार सबसे ज्यादा विदर्भ और मराठवाड़ा के इलाकों पर पड़ी है। (लाचार होकर 4 से 12 हजार में बीवी-बेटियों को बेच रहे लोग)
इस मुश्किल भरे वक्त में विदर्भ और मराठवाड़ा के इलाकों में दुल्हनों की खरीद-फरोख्त का कारोबार जोरों पर है। दुल्हनों के ऐसे कारोबार में लगे हुए एजेंट सूखे से उपजी गरीबी का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। वैसे महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु से लड़कियों को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब ले जाकर बेचने का शर्मनाक काम काफी पहले से चल रहा है। लेकिन महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में सूखे की वजह से इस चलन ने जोर पकड़ लिया है। (पेट की आग बुझाने को जिस्म की मंडी में बेच रहे बहू-बेटियां, इज्जत पर भारी पड़ रही भूख)
चंद्रपुर से गायब हुई थीं 5 लड़कियां, 30 से 50 हजार में बेची गईं
हाल ही में महाराष्ट्र के चंद्रपुर से पांच लड़कियों के गायब होने के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया था। दबाव बढ़ने के बाद पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की थी। जांच में पता चला था कि मध्य प्रदेश के कुछ गैरशादीशुदा पुरुषों के हाथ झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली इन लड़कियों को बेच दिया गया था। इन लड़कियों की उम्र 16 से 20 के बीच बताई गई। मामले की छानबीन कर रही पुलिस टीम ने मध्य प्रदेश के अशोक नगर का दौरा किया। पांच लड़कियों में से एक नाबालिग लड़की को बेचने वाला एजेंट पुलिस के हत्थे चढ़ गया। एजेंट ने उस लड़की को अशोक नगर के शडोरा गांव के रहने वाले एक शख्स को बेचा था। जांच कर रही पुलिस टीम को पता चला कि ऐसी लड़कियों और महिलाओं को पुरुषों के हाथ बेचने वाले एजेंट को हर लड़की या महिला के एवज में 30 हजार से 50 हजार रुपये मिलते हैं।
हालांकि, चंद्रपुर से गायब हुई पांच लड़कियों में से एक अपने एजेंट के पास कुछ समय बाद लौट आई। उसने एजेंट से उस आदमी के खराब बर्ताव की शिकायत की, जिसके हाथों वह 30 हजार रुपये में बेची गई थी। इससे एजेंट और खुश हो गया और उसने दूसरी बार उस लड़की को बेचकर 35 हजार रुपये कमाए। लेकिन सवाल खड़ा होता है कि लड़कियों को खरीदने वाले पुरुष के चंगुल से आजाद होने के बाद भी ऐसी लड़कियां अपने परिवार की बजाय एजेंट के पास क्यों लौटती हैं।
‘ठग विवाह’ के जरिेए बनी दुल्हन को सामाजिक रुतबा नहीं मिलता
महाराष्ट्र में सक्रिय कैंपेन अगेंस्ट ब्राइड ट्रैफिकिंग से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता शफीक उर रहमान खान के मुताबिक, ‘एजेंट के जरिए बेची गई महिलाओं की शादी को ‘ठग विवाह’ कहा जाता है। इस तरह से शादी करने वाली लड़की को शायद ही कभी सामाजिक तौर पर पत्नी का दर्जा दिया जाता हो। ऐसी लड़कियों को शादी के बाद पारो दुल्हन (जिसे चुराया गया हो) या मोल्की दुल्हन (जिसे खरीदा गया हो) पुकारा जाता है। मोल्की दुल्हनों को शारीरिक तौर पर एक से ज्यादा पुरुष को संतुष्ट करने के अलावा खेतों में मजदूरी भी करनी पड़ती है।’
एजेंटों से खरीदी गई दुल्हन अक्सर जाती हैं भाग!
दुल्हनों की खरीद-फरोख्त के कारोबार का एक ‘साइड इफेक्ट’ यह भी है कि ऐसी महिलाओं से शादी कर चुके पुरुषों के लिए शादीशुदा रहना भी मुश्किल हो रहा है। जयपुर के एक 50 साल के कारोबारी ने महाराष्ट्र की एक महिला से शादी की थी। उस शख्स ने पहले भी एजेंट के जरिए दो दुल्हनों को खरीदा था, लेकिन वे भाग गई थीं। दो महीनों में कारोबारी ने तीन दुल्हनों पर 2.5 लाख रुपये खर्च किए थे। लेकिन जयपुर के उस कारोबारी की तीसरी पत्नी भी भाग गई। पुलिस की जांच में पता चला कि ऐसी दुल्हनों और उनके एजेंट के बीच सांठगांठ होती है।
इस तरह का काम कर रहे एजेंट दुल्हन के कारोबार को वेश्यावृत्ति के कारोबार से ज्यादा मुनाफे वाला और सुरक्षित मानते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता शफीक उर रहमान को लगता है कि महाराष्ट्र में सूखे के चलते एजेंट जमकर लड़कियों की खरीद-फरोख्त में जुटे हुए हैं। रहमान का मानना है कि बहुत ही गरीब परिवारों में लोग लड़कियों को एजेंट के हाथों बेच भी देते हैं, क्योंकि इससे उन्हें न सिर्फ थोड़े-बहुत पैसे मिल जाते हैं, बल्कि उन्हें लगता है कि एक सदस्य के पेट को भरने से मुक्ति मिली।
हरियाणा के कई गांव में एजेंटों से खरीदी गई दर्जनों दुल्हनें
महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से बिक्री के लिए ले जाई गईं ऐसी लड़कियों-महिलाओं की तादाद का कोई अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता रहमान का कहना है कि हरियाणा के कई गांवों में ऐसी दर्जनों लड़कियां ब्याही हुई हैं। चूंकि, एजेंट ऐसी दुल्हनों के प्रस्ताव के साथ अक्सर जरूरतमंद पुरुषों के पास जाते रहते हैं। इसलिए कई बार पुरुष खरीदी गई दुल्हन को बेचकर नई दुल्हन ले लेता है। ऐसे में किसी दुल्हन के लिए एक ही घर में बहुत दिनों तक रहना मुश्किल है। रहमान का कहना है कि ये मामला जानवरों की खरीद-फरोख्त जैसा ही है।
एक-तिहाई महाराष्ट्र पर सूखे की मार
एक-तिहाई महाराष्ट्र सूखे की चपेट में है। बताया जा रहा है कि 1972 के बाद से महाराष्ट्र में अब तक का यह सबसे ज्यादा बर्बादी वाला सूखा है। मार्च के अंत तक हालात और खराब होने की आशंका है। महाराष्ट्र में पानी ट्रेनों के जरिए कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से मंगवाना पड़ सकता है। मध्य और पश्चिम भारत में पानी का स्तर लगातार नीचे गिरते जा रहा है। नासा की ओर से जारी तस्वीरें बताती हैं कि भारत में गंगा के मैदानों में पानी का जितना दोहन हो रहा है, उतना दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं। सेंट्रल ग्राउंडवाटर बोर्ड के आंकड़े भी नासा के दावे को सही ठहराते हैं।
25-30 सालों में हालात और खतरनाक होंगे: अन्ना
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में सूखा कुदरत का कहर नहीं, बल्कि इंसान की गलती का नतीजा है। पानी से जुड़े संसाधनों के दोहन, भ्रष्टाचार और राजनीतिक उपेक्षा ने प्रदेश में सूखे की स्थिति पैदा की है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पानी के प्रबंधन का अनोखा काम कर चुके अन्ना का कहना है कि हमने धऱती में पानी को रिचार्ज किए बिना कई सालों तक अंधाधुंध तरीके से धरती से पानी निकाला है। हजारे ने कहा कि अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले 25-30 सालों में हालात और खतरनाक होंगे।