शहर में धडल्ले से बिक रही लोकल ब्रांडेंड कुल्फियां

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खाद्य अधिकारी रोज ले रहे है कुल्फियों के सेम्पल
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उदयपुर। गर्मी बढने के साथ साथ शहर और आसपास के गांव कस्बों में आइसक्रीम कुल्फियों के ठेलों की भरमार हो गयी है। अगर कुछ मुख्य आइसक्रीम या कोल्ड हाउस की बात नहीं करे तो ठेलों पर मिलने वाली ये आइस केण्डी ज्यादातर लोकल ब्रांड या खुद की बनाई हुई होती है। कुछ गिने चुने कुल्प*ी विक्रेता को छोड कर ज्यादातर आइस केन्डी स्वास्थ के लिए नुकसानदायक है । खाद्य अधिकारी इन दिनों अभियान के तहत इन आइस केंडियों के रोज सेम्पल ले रहे है । लेकिन फिर भी छोटे छोटे कस्बों और आसपास के गांव में तो यह कुल्प*ी धडल्ले से बिक रही है।
शहर में लगभग ५० से अधिक आइसक्रीम पार्लर है। लेकिन आइसक्रीम कई दुकानों पर मिल जाती है। मुख्य बाजारों में अक्सर ब्रांडेड वाडीलाल, अमूल, क्रीम बेल आदि कंपनियों की आइसक्रीम मिलती है लेकिन गली मोहल्लों में अक्सर लोकल और घटिया क्वालिटी की आइसक्रीम मिलती है और यह आइसक्रीम अधिकतर बच्चे खाते है । डॉक्टरों के अनुसार घटिया क्वालिटी की आइसक्रीम में दूध क्रीम शक्कर के बजाय अन्य पदार्थ सिंगाडे का आटा यूरिया का बना दूध सेक्रीन आदि सस्ते और घटिया पदार्थो से बनाई जाती है, जो इस गर्मी में बच्चों के लिए तो बहुत नुक्सान दायक है। डॉक्टर अशोक माथुर का कहना है की इस गर्मी में ऐसी घटिया आइसक्रीम खा कर बच्चों में कई तरह की बीमारिया, खांसी, दस्त, उलटी , बुखार आदि हो जाती है जो कई बार बडी-बडी बीमारियों को जन्म देती है ।
ऐसे ही गांव में आइस केन्डी का खूब चलन है। जो अक्सर आइस की फैक्ट्री में बनायीं जाती है । और ये आइस केन्डी हद से ज्यादा नुकसान करती है। दो से पांच रूपये में मिलने वाली यह आइस केन्डी जंग लगे लोहे के फर्मों में रख कर जमाई जाती है । और यही नहीं इसमें जो रेड और ऑरेन्ज कलर काम में लिया जाता है वो एक तरह से जहरीला कलर होता है । यह आइस केन्डी पानी सेक्रीन और कलर के ही बनाई जाती है । जिसको खाने के बाद बच्चों के जिस्म में कई तरह के इन्फैक्शन और यहां तक का बीमारी की हालत में बच्चे मरणासन की स्थिति तक में चले जाते है ।

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उदयपुर शहर पर्यटकों का शहर कहलाया जाता है। और इन आइस केन्डी वालों प् खाद्य सुरक्षा वालों का शिकंजा ना होने के वजह से अब यह लॉरी और ट्रॉली वाले शाम होते ही पर्यटन स्थल फतह सागर, सुखाडिया सर्कल, दूध तलाई आदि जगह मिल जाते है । और इनमे अक्सर नकली ब्रांड की आइसक्रीम मिलती है । ये ठेले वाले ज्यादा मुनाफे की लालच में शहर वासियों और पर्यटकों के स्वास्थ के साथ खिलवाड करते हुए धडल्ले से बेच रहे है । ताज्जुब की बात यह है की कई आइस केन्डी के खाद्य अधिकारियों द्वारा सेम्पल भी लिए गए है । और कई लोगों के घटिया क्वालिटी के चालान भी कटे है । लेकिन फिर भी इन पर लगाम नहीं लगाईं जारही है ।
सबसे अहम बात खाद निरीक्षक द्वारा इन ठेले वालों पर कोई लगाम नहीं लगाईं जा रही । विभाग के अधिकारी अक्सर आइसक्रीम पार्लर और ब्रांडेड आइसक्रीम के सेम्पल लेकर जाँच के लिए भेजते है । लेकिन गांव व् पर्यटन स्थलों पर नकली आइसक्रीम बेचने वालों पर कोई अंकुश नहीं है । फूड इन्स्पेक्टर के अनुसार अभी अभियान चलाया जा रहा है जसमे रोज आइस केंडियों के जगह जगह से सेम्पल लिए जा रहे है । जिनकी रिपोर्ट आने पर पता चलेगा ।
इनका कहना है….
१२ मई से हमने कुल्पि*यां और आइसक्रीम पर अभियान चला रखा है । और सब के सेम्पल लिए जारहे है । कुछ विक्रेता हमारी लिस्ट में है, लेकिन इसके अलावा कई विक्रेता जो सिर्फ ये तीन चार महीना धंदा करते है वह लिस्ट में नहीं है हालाँकि उनपर भी कार्रवाई की जाती
-अनिल भारद्वाज, फूड इन्स्पेक्टर

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