मां सीता को त्याग कर वनवास भेजने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण के खिलाफ बिहार के एक शख्स ने केस दर्ज कराया है।
सीतामढ़ी जिले के मेजरगंज थाना क्षेत्र के डुमरी कला गांव निवासी चंदन कुमार सिंह ने भगवान राम पर माता सीता को एक धोबी के कहने पर परित्याग करने और इस कार्य में उनके भाई लक्ष्मण के भी शामिल होने को मुद्दा बनाकर कोर्ट में मामला दर्ज कराया है।
इस मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सुनवाई की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की है। अब कोर्ट को इस मामले में यह तय करना है कि याचिकाकर्ता की इस शिकायत के आधार पर भगवान राम पर मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया गया है कि मां सीता का कोई कसूर नहीं होते हुए भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा? कोई भी पुरुष पत्नी पर इतना बड़ा जुर्म कैसे कर सकता है? उन्होंने कोर्ट में दायर याचिका में लिखा है कि जो महिला अपने पति के सुख-दुख में पूरी धर्म निष्ठा के साथ धर्मपत्नी होने का दायित्व निभा रही हो, उसके साथ इतना संज्ञेय अपराध क्यों किया गया?
किसी की धार्मिक भावना को आहत करना नहीं है उद्देश्य
याचिकाकर्ता ठाकुर चंदन सिंह ने अपनी याचिका में लिखा है कि उनके द्वारा यह मुकदमा दायर करने का उद्देश्य सीताजी को न्याय दिलाना है मात्र है, किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं। उन्होंने लिखा है कि यह मुकदमा दायर करने का आधार यह है कि सीताजी मिथिला की धरती की बेटी थीं। वह भी सौभाग्य से इसी धरती पर पैदा हुए और उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनकी धरती पर पैदा हुई बेटी के साथ अयोध्या नरेश ने इंसाफ नहीं किया।
कानून के जानकारों का क्या है कहना?
इस संबंध में कानून के जानकारों का कहना है कि मामले मे ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिस आधार पर कोर्ट भगवान राम पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे। वहीं दूसरी ओर समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का एक हथकंडा बताया है।