ख्वाजा के दर पर बसंत पेश, एकता का प्रतीक बना पर्व

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garib nawaz

Udaipur. ख्वाजा साहब की दरगाह में गुरुवार को कौमी एकता का प्रतीक बसंत पर्व धूमधाम से मनाया गया। शाही कव्वाल चौकी ने गुलदस्ता पेश कर मुल्क में खुशहाली के लिए दुआ की। जुलूस में दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन समेत विभिन्न गणमान्य लोग शरीक हुए।

निजामगेट से सुबह 11 बजे बसंत के जुलूस की शुरूआत हुई। शाही कव्वाल असरार हुसैन और साथियों ने सरसों व अन्य फूलों से खूबसूरत गुलदस्ता तैयार किया था। असरार हुसैन और साथी हजरत अमीर खुसरो के ब्रज व हिंदी भाषा के कलाम पढ़ते हुए चल रहे थे। कव्वाल ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दर आज आती है ‘बसंत, फूलों के गढ़वे हाथ ले, गाना बजाना साथ ले, क्या खुशी और ऐश का सामान लाती है बसंत…..’ आदि कलाम पेश कर रहे थे। अहाता ए नूर में बसंत का गुलदस्ता रख कर महफिल हुई।

इस मौके पर गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, गद्दीनशीन एसएफ हसन चिश्ती, सैयद जहूर बाबा चिश्ती समेत कई लोग उपस्थित थे। बाद में बसंत का गुलदस्ता पेश किया गया। दरगाह कमेटी की ओर से दारोगा मोबीन अहमद खान, अब्दुल अजीज आदि ने भी शिरकत की। इस मौके पर गरीब नवाज सेवा समिति के अध्यक्ष सैयद अताउर्रहमान चिश्ती और सचिव सैयद कुतुबुद्दीन सखी व सैयद यामीन हाशमी ने दुआ कराई।

दीवान की शिरकत चर्चा का विषय रही

दरगाह में बसंत के जुलूस में लंबे समय बाद दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन स्वयं शरीक हुए। इससे पूर्व उनके स्थान पर परिवार के अन्य सदस्य आते रहे हैं। खादिमों में इस बात को लेकर चर्चा रही। इधर दो दिन पूर्व ही खादिमों ने दरगाह कमेटी को पद का दुरुपयोग की शिकायत भी की थी।

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