पोस्ट न्यूज़। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद से मुम्बई के बिच बुलेट ट्रेन की तय्यारी कर रहे है लेकिन यहाँ वागड़ में बुनियादी जरूरत के तहत डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलामनई ब्रॉड गेज रेललाइन परियोजना पूरी तरह बंद होने के कागार पर है। महज़ चंद दिनों के बाद रेलवे कार्यालय पर भी ताले लग जायेगें। २४०० करोड़ की रेलवे परियोजना का कार्य करीब चार हज़ार करोड़ रूपये से भी ज्यादा पार कर चुकी थी। लेकिन चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार दोनों अब वागड़ की इस रेल योजना को लेकर कोई रूचि नहीं ले रहे। वागड़ वासी भी भी एक तरह से खुद को ठगे हुए महसूस कर रहे है।
बांसवाड़ा से उप मुख्य अभियंता का पद पहले ही बीकानेर स्थानांतरित किया जा चुका है। साथ ही उप मुख्य अभियंता का तबादला जयपुर हुए एक माह बीत चुका है। वे अभी पुलों वाले कार्य स्थलों पर जहां स्टील के सरिए बाहर निकले हुए हैं, उन्हें पैक करवाने का काम पूरा करवा कर जयपुर चले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले दिनों उदयपुर में हुई जनसभा में इस परियोजना के लिए कुछ घोषणा होने की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हो सकी और वागड़ की जनता की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। 2400 करोड़ की रेलवे परियोजना की लागत 4 हजार करोड़ से भी अधिक हो चुकी है।
फिलहाल रेलवे कार्यालय में निर्माण कंपनी गेनन डंकरली एंड कंपनी लिमिटेड,अहमदाबाद के द्वारा किए गए निर्माण कार्यों की एवज में फाइनल बिल बनवाए जाने का काम करवाया जा रहा है। जिसमें संभावना है कि कंपनी द्वारा निर्माण कार्य के लिए लाई गई करीब 28 लाख रुपए की सीमेंट साइट पर ही खराब हो चुकी है, जो निर्माण माह के बाद छह माह से अधिक समय तक बाहर रखे जाने के कारण नमी से खराब हो चुकी है,जिसे अब पुलों के निर्माण के काम में नहीं लिया जा सकता है। इसके अलावा टाइम और लेबर एक्सेलेशन की भरपाई भी रेलवे विभाग की ओर से निर्माण कंपनी को करनी होगी।
वर्तमानमें रेलवे प्रशासन ने बांसवाड़ा कार्यालय में स्टाफ घटा दिया है। बचे खुचे कार्मिकों को मावली से मारवाड़ जंक्शन तक की 170 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के गेज परिवर्तन कार्य की डीपीआर बनाने का भी जिम्मा सौंपा गया था। इसके लिए स्थानीय कार्यालय में काम किया जा रहा है।
बांसवाडा की रेल परियोजना बंद, वागड़ की जनता ठगा सा महसूस कर रही है।
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