उदयपुर. निशुल्क जांच योजना में मरीजों के ब्लड सैंपल लेने में इस्तेमाल की जा रही ट्यूब (वायल) के संक्रमित होने का खतरा पैदा हो गया है। यह नौबत इसलिए आई क्योंकि लेबोरेट्री में पिछले डेढ़ माह से इन ट्यूब की सप्लाई नहीं हो रही। स्टाफ उपयोग में ली जाने वाली ट्यूब को धोकर काम में ले रहा है। रोजाना ऐसे डेढ़ से दो हजार सैंपल की जांच की जा रही है।
मेडिकल का तकाजा होता है कि ऐसी किसी ट्यूब में एक बार ब्लड सैंपल लेने के बाद उसे नष्ट कर दिया जाता है। दैनिक भास्कर के बताने पर डॉक्टरों ने भी इसे खतरनाक माना। दरअसल एमबी अस्पताल प्रशासन अपनी ढिलाई के कारण मरीजों को किसी नई बीमारी के मुहाने पर ले जाने के लिए मजबूर कर रहा है। अस्पताल प्रशासन को यह देखना था कि या तो टेंडर समय पर हो या टेंडर होने तक पर्याप्त स्टॉक रहे। स्टॉक मार्च से पहले ही खत्म हो गया था। नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया अब तक टेंडर भी नहीं किए गए। मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। इन ट्यूब में हार्मोन, थायराइड, टाइफाइड, वीडीआरएल व बायोकेमेस्ट्री व माइक्रोबायोलॉजी से जुड़ी अन्य जांचें होती हैं।
सैंपल के लिए चार तरह की ट्यूब होती हैं। जो यूज एंड थ्रो श्रेणी की होती हैं। इन चार ट्यूबों में से एक प्रकार की ट्यूब जिसे प्लेन ट्यूब कहा जाता है, उसे सर्फ के पानी से धो कर बार-बार यूज किया जा रहा है। डॉक्टर बताते हैं कि बहुत बड़ी मजबूरी में यदि कभी ट्यूब फिर से इस्तेमाल करनी भी पड़े तो उसे एक प्रकार के सोल्यूशन में रखने के बाद उच्च तापमान पर इंक्यूबेट करना होता है। इधर, स्टाफ का कहना है कि उन्हें खुद संक्रमण का खतरा बना रहता है।
बिना सोल्युशन के ट्यूब की धुलाई ।
ऐसा हो रहा है तो गंभीर है
ऐसा होना तो नहीं चाहिए, यदि हो रहा है तो गंभीर है। ट्यूब को एक बार ही इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद उसे बायोमेडिकल वेस्ट में फेंक दिया जाता है। डॉ. एके वर्मा, नोडल प्रभारी, निशुल्क जांच योजना