post. सीबीआई कोर्ट से गुरमीत राम रहीम को मिली सजा के बाद उसके कई राज भी सामने आने लगे हैं। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, राम रहीम के गार्ड रह चुके बेअंत सिंह ने बाबा से जुड़े कई राज बताए हैं। बेअंत सिंह ने बताया कि 1995-1996 में माउंट आबू में एक टेंट में गुरमीत सिंह ने 15-16 साल की लड़की को बुलाया। तब वह खुद टेंट के बाहर पहरा दे रहा था। उसके साथ राम रहीम ने रेप किया, उसके सिसकने की आवाजें आ रही थीं। वह लड़की आज भी डेरे में है।
बेअंत के मुताबिक, डेरा प्रमुख ने लगभग 250 लड़कियों के साथ बुरा काम किया है। वहां करीब 400 लड़कियां हैं, जिन्हें साध्वी बताया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि डेरा प्रमुख की गुफा में हर रात कोई न कोई लड़की आती थी। उसके पहरेदारों में वह खुद शामिल होता था। बेअंत के अनुसार, उसकी धारणा माउंट आबू से बाबा के प्रति खराब हो चुकी थी, लेकिन बाकी पहरेदार उसके बुरे कामों से सहमत थे। बेअंत के अनुसार, डेरे में सैकड़ों लोगों को गला घोंटकर मारा जाता था। इसके बाद उनकी डेड बाडी सिरसा ब्रांच नहर भाखड़ में बहा दी जाती थी। यह सिलसिला कई सालों तक चला। फिर कुछ समय बाद मारे जाने वाले लोगों का दाह संस्कार किया जाने लगा। इसके बाद मरे हुए लोगों की अस्थियों को डेरे के पीछे बने बाग में गाड़ दिया जाता था। बेअंत सिंह ने कहा कि डेरा प्रमुख ने सबसे पहला मर्डर फकीर चंद नाम के व्यक्ति का कराया। इसके बाद सैकडों लोग मारे गए और संदेश यह दिया जाता था कि फलां शख्स अपने गुरू को याद करते हुए स्वर्गलोक में चला गया।
उन्होंने आगे कहा कि डेरा प्रमुख की गुफा में हर रात कोई न कोई लड़की आती थी। उसके पहरेदारों में वह खुद शामिल होता था। बेअंत के अनुसार, उसकी धारणा माउंट आबू से बाबा के प्रति खराब हो चुकी थी, लेकिन बाकी पहरेदार उसके बुरे कामों से सहमत थे। बेअंत के अनुसार, डेरे में सैकड़ों लोगों को गला घोंटकर मारा जाता था। इसके बाद उनकी डेड बाडी सिरसा ब्रांच नहर भाखड़ में बहा दी जाती थी। यह सिलसिला कई सालों तक चला। फिर कुछ समय बाद मारे जाने वाले लोगों का दाह संस्कार किया जाने लगा। इसके बाद मरे हुए लोगों की अस्थियों को डेरे के पीछे बने बाग में गाड़ दिया जाता था। बेअंत सिंह ने कहा कि डेरा प्रमुख ने सबसे पहला मर्डर फकीर चंद नाम के व्यक्ति का कराया। इसके बाद सैकडों लोग मारे गए और संदेश यह दिया जाता था कि फलां शख्स अपने गुरू को याद करते हुए स्वर्गलोक में चला गया।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले 20 साल से बाबा का राजनीतिक प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा था। अब तो वह खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा था। इसकी वजह यह थी कि हरियाणा राज्य का ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं बचा था, जो डेरे में नतमस्तक नहीं होता था। इससे उसको लगता था कि राजनीतिक पार्टी खड़ी कर दूंगा तो वह और ज्यादा पॉवरफुल हो जाएगा।