भारत रत्न और तीन बार प्रधानमंत्री रहे Atal Bihari Vajpayee (93) शुक्रवार शाम 4:56 बजे पंचतत्व में विलीन हो गए। Atal ji की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि में राष्ट्रपति Ramnath kovind, प्रधानमंत्री Narendr Modi समेत कई देशों के नेता मौजूद रहे। अंतिम यात्रा के दौरान भाजपा मुख्यालय से स्मृति स्थल के पांच किलोमीटर रास्ते पर हजारों लोगों ने अटलजी को पुष्प चढ़ाए। इस दौरान नरेंद्र मोदी अंत्येष्टि स्थल तक पैदल साथ आए। उनके अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान समेत कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी साथ-साथ पैदल चले।
स्मृति स्थल पर तीनों सेना प्रमुख, रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामगेयाल वांगचुक, बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद अली, नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, श्रीलंका के कार्यवाहक विदेश मंत्री तिलक मारापना, लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने श्रद्धांजलि दी। Atal Bihari Vajpayee की नातिन Niharika को सेना ने अटलजी की पार्थिव देह पर लिपटा तिरंगा सौंपा। स्मृति स्थल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सभी दलों के प्रमुख नेता भी मौजूद थे। यमुना किनारे डेढ़ एकड़ जमीन पर अटलजी का स्मृति स्थल बनाया जाएगा।
सभी दलों के नेता भाजपा मुख्यालय पहुंचे : अंतिम दर्शन के लिए अटलजी की पार्थिव देह को सुबह 9 बजे उनके आवास से भाजपा मुख्यालय लाया गया था। यहां सभी दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अटलजी ने गुरुवार शाम 5.05 बजे एम्स में अंतिम सांस ली थी। वे नौ साल से बीमार थे और 67 दिन से एम्स में भर्ती थे। पार्टी मुख्यालय में नरेंद्र मोदी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण अाडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अटलजी को पुष्पांजलि दी। अन्य दलों के नेता भी भाजपा मुख्यालय आए। इनमें सपा नेता मुलायम सिंह यादव, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आप सांसद संजय सिंह, द्रमुक नेता ए राजा, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह शामिल थे। आडवाणी पूरे वक्त भावुक नजर आए।
अटलजी ने पूरी दुनिया में सम्मान हासिल किया- पुतिन : शुक्रवार को भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामगेयाल वांगचुक ने अटलजी को श्रद्धांजलि दी। नेपाल के विदेश मंत्री पीके ग्यावाल, बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हासन महमूद अली, श्रीलंका के कार्यकारी विदेशी मंत्री लक्ष्मण किरीला, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और पाकिस्तान के कानून मंत्री अली जफर अंत्येष्टि में मौजूद रहे। मॉरिशस ने अटलजी के निधन पर गहरा दुख जताया। शोक स्वरूप मॉरिशस सरकार ने अपना राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरी दुनिया में सम्मान हासिल किया। उन्हें एक ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा, जिसने रूस और भारत के कूटनीतक संबंधों को मजबूत करने में निजी तौर पर बड़ा योगदान किया।’ श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने ट्वीट किया, “हमने एक महान मानवतावादी और श्रीलंका का अच्छा दोस्त खो दिया।
राहुल गांधी और मोहन भागवत ने आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी : अटलजी के पार्थिव शरीर को गुरुवार शाम एम्स से लाकर अंतिम दर्शन के लिए कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर रखा गया था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी आवास पर पहुंचकर अटलजी को शुक्रवार सुबह श्रद्धांजलि दी। वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह समेत कई नेताओं ने गुरुवार देर रात श्रद्धांजलि दी।
12 राज्यों में शासकीय अवकाश: अटलजी के निधन पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई। शुक्रवार को देश के 12 राज्यों ने राजकीय शोक और अवकाश की घोषणा की। इनमें दिल्ली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, ओडिशा, पंजाब, बिहार, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य शामिल हैं। इन राज्यों में सरकारी कार्यालय, स्कूलों और कॉलेजों में अवकाश रखा गया। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में भी शुक्रवार को एक बजे तक ही काम हुआ। दिल्ली में व्यापारियों ने भी सभी बाजार बंद रखे।
अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, ब्रिटेन और बांग्लादेश ने दुख जताया: पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ के नेता और प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के एक बड़े व्यक्तित्व थे। भारत-पाक संबंधों में सुधार के लिए उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। चीन के राजदूत लुयो झाओहुई ने ट्वीट किया- “अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से गहरा दुख पहुंचा है।” भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शासनकाल में अमेरिका के साथ मजबूत रिश्तों पर जोर दिया।” ब्रिटेन और जापान के राजदूत ने कहा कि वे वैश्विक नेताओं में से एक थे। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों में भी अटल बिहारी वाजपेयी काफी लोकप्रिय थे।
मोदी ने कहा- पिता का साया उठ गया: नरेंद्र मोदी ने अटलजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जाना सिर से पिता का साया उठने जैसा है। इससे पहले उन्होंने ट्वीट में कहा- ‘‘मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटलजी हमारे बीच नहीं रहे। यह मेरे लिए निजी क्षति है। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।’’
1924 में जन्मे, मूल रूप से कवि और शिक्षक : वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे। वे मूलत: कवि थे और शिक्षक भी रह चुके थे। 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई और अटलजी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया। 1957 में वाजपेयी मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। हालांकि, बलरामपुर सीट से वह जीत गए। 1975-77 के आपातकाल के दौरान वह गिरफ्तार किए गए। 1977 के बाद जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वह विदेश मंत्री भी रहे। 1980 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। वे 10 बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। तीन बार प्रधानमंत्री बने।