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जोधपुर. नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीडऩ के मामले में पीडि़ता की ओर से आरोप लगाया गया है कि जेल प्राधिकारी व चिकित्सक आपस में मिलीभगत कर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। आरोपी आसाराम स्वस्थ होने के बावजूद उसे बीमार बताकर अदालत में पेश नहीं किया जा रहा है। पीडि़ता अब तक करीब दस बार अदालत में हाजिर हो चुकी है उसके मुख्य परीक्षण के बयान हो चुके हैं लेकिन आसाराम को कोर्ट में पेश नहीं करने से पीडि़ता से जिरह शुरू नहीं हो पा रही है।
पीड़िता के वकील प्रमोद कुमार वर्मा ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस संबंध में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि जेल प्राधिकारियों व चिकित्सकों का ऐसा आचरण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। पीडि़ता के इस प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को बहस होगी। सेशन न्यायाधीश, जिला मनोज कुमार व्यास की अदालत में मंगलवार को पीडि़ता से जिरह होनी थी लेकिन जेल प्राधिकारियों ने आसाराम को बीमार बताते हुए कोर्ट में पेश नहीं किया। इससे पहले भी कई पेशियों पर आसाराम को अस्वस्थ बताकर अदालत में हाजिर नहीं किया गया था। पीडि़ता के वकील ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि आसाराम की ओर से जानबूझ कर देरी की जा रही है। जिसमें जेल प्राधिकारी व चिकित्सक भी उसका सहयोग कर रहे है।
आसाराम की मौजूदगी में ही करना चाहते हैं जिरह
विशेष लोक अभियोजक राजूलाल मीणा व पीडि़ता के वकील का कहना है कि आसाराम जानबूझ कर कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है। दूसरी तरफ उनके वकील आसाराम की मौजूदगी में ही पीडि़ता से जिरह करना चाहते है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 317 के तहत अभियुक्त की गैर हाजरी के बावजूद गवाह से जिरह की जा सकती है। इसके वितरीत आसाराम के वकीलों का कहना है कि यह प्रावधान उन मामलों में लागू होता है। जिनमें अभियुक्त जमानत पर छोड़ा जा चुका है। इस मुद्दे को अदालत गुरुवार को तय करेगी।