इसका सिंघल के पास है कोई जवाब ?

Date:

उग्रसेन राव
विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल ने कथित संत आसाराम को उसके जघन्य अपराधों से क्रक्लीनचिटञ्ज देते हुए सारे मामले ashok-singhalको हिंदू धर्म पर हमले की संज्ञा दी है। उन्होंने इससे पहले कांची के शंकराचार्य, आतंकी हमले की साजिश में फंसे असीमानंद आदि के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को झूठे बताते हुए कहा है कि क्रक्रहिंदू धर्म व संतों को मिटाने का प्रयास चल रहा है। ऐसी ताकतें हमें मिटाने और हम उन्हें खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। काफी कुछ तो मिटा ही दिया है।ञ्जञ्ज
ङ्क्षहदुओं के स्वयंभू नेता सिंघल ने ये बयान जोधपुर जेल में बंदी आसाराम से मिलने के बाद मीडिया के सामने दिया। सिंघल ने यह भी कहा कि कानून में किसी को भी फंसाया जा सकता है। स्पष्ट है सिंघल धर्म की आड़ में अपराधियों का पक्ष लेकर कानून और व्यवस्था के लिए संकट की स्थिति पैदा कर रहे हैं। वह लोगों को इसाई और इस्माल मानने वालों के खिलाफ भडक़ा रहे हैं। इतना ही नहीं, देश के कानून को भी चुनौती दे रहे हैं।
आसाराम से मिलने के बाद सिंघल ने बताया कि वो पुराने संबंधों के नाते बापू का दु:ख बांटने गए इसलिए यह भी तहकीकात का विषय हो गया है कि दोनों के बीच पुराने अच्छे दिनों में किस प्रकार के ‘सुखदायी सम्बंध’ रहे हैं।
वस्तुत: हिन्दू कोई धर्म नहीं है। ये लोग जिसकी बात कर रहे हैं, वह सनातन धर्म है, जिसका जान-बूझकर नाम नहीं लिया जाता। क्योंकि ऐसा करने से कई सारी चीजें गड़बड़ा जाती हैं। इतिहास देखें तो बाहर से आए आक्रांताओं ने भारतीय भूभाग में रहने वालों को सिन्धु नदी घाटी सभ्यता के कारण हिन्दू नाम दिया। अरबी-फारसी के शब्दकोश में क्रहिन्दूञ्ज शब्द का अर्थ काला-कलूटा, लुच्चा-लफंगा और बदमाश बताया गया है। उस समय इस गाली को नहीं समझा गया और इसे स्थानीय वासियों ने भी अपना लिया।
इसके बाद कश्मीर से लगाकर कन्याकुमारी तक की आबादी को हिन्दू कहा जाने लगा। यानी इस्लाम मानने वाले मुस्लिम हिन्दू, ईसा को मानने वाले इसाई हिन्दू और इसी प्रकार किसी भी पूजा पद्धति में भरोसा रखने वाले सभी हिन्दू ही कहे गए। इसी तर्ज पर सनातन धर्मी भी सनातन हिन्दू कहलाए। इस थ्योरी को एक जमाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी स्वीकार किया लेकिन बाद में राजनीतिक रूप से असुविधा होने पर त्याग दिया। असुविधा यहभी हुई कि इसमें राष्ट्र तो बनता है लेकिन किसी भी प्रकार की क्रघर वापसीञ्ज के लिए कोई जगह नहीं बचती। इसलिए सिंघल के बयान भी लगातार बदलते रहे।
उनसे जब यह पूछा गया कि जैन धर्मावलंबियों को अल्पंसख्यक का दर्जा मिल गया है तो क्यों नहीं इन्हें सनातनधर्मी रामंमंदिर आंदोलन से अलग कर दिया जाए तो वे बोले हिन्दुस्तान में कोई अल्पसंख्यक नहीं हैं। जब उन्हें यह पूछा गया कि सनातन धर्म क्या है तो वे बोले सनातनधर्म ही हिन्दू धर्म है। हिन्दू राष्ट्र बनाने के बारे में पूछने पर कहने लगे, बनाना क्या यह तो हिन्दू राष्ट्र ही है। इस पर जब यह सवाल उठा कि फिर घर वापसी का क्या मतलब तो वे बहस छोडक़र चल दिए?
अब करें विहिप की बात। विश्व हिन्दू परिषद का गठन उदयपुर में हुआ। महाराणा भगवतसिंह इसके प्रथम अध्यक्ष बनाए गए। उन्होंने हिंदुओं (सनातन धर्मियों) को एकजुट करने के लिए देशभर में क्रक्रएकात्मता-यात्राञ्जञ्ज निकाली। इसके खर्च के लिए क्रमहाराणा प्रताप स्मारक समितिञ्ज के खाते से ४० लाख रुपए निकाले, जिसका जमा खर्च आज दिन तक नहीं हुआ। बाद में विहिप के प्रथम अध्यक्ष हिंदुआ सूर्य महाराणा भगवतसिंह ने गोवा की चर्च में ईसाई युवती क्रिस्टीना से शादी कर उसे पूर्णिमा देवी का नाम दिया। यह युवती महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी। इस प्रकार उसकी क्रघर वापसीञ्ज हुई। अब सवाल यह है कि विहिप के प्रथम अध्यक्ष ने चर्च मेें जाकर अपनी घर वापसी की अथवा युवती का धर्मांतरण करवाया ? संगठन ने एक विधर्मी से शादी करने पर अपने अध्यक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? इसका सिंघल के पास है कोई जवाब?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Why should you start thinking about dating a single milf source?

Why should you start thinking about dating a single...

why is american-japanese dating therefore special?

why is american-japanese dating therefore special?there are some things...

just what makes gamer girls special?

just what makes gamer girls special?there are many things...