उदयपुर। सरकार के नियम, कई आदेश और जिला प्रशासन की सख्ती के बाद भी चित्रकूटनगर में खेल गांव के आस-पास की पहाडिय़ों पर अवैध कब्जे और पहाडिय़ों को काटना का सिलसिला जारी है। वहां जेसीबी चलना बंद नहीं हो रही है। रसूखदार और अवैध कब्जा करने वाले असामाजिक लोग अपनी मनमर्जी चला रहे हंै। पहाडिय़ां काट कर कॉलोनियां बसाई जा रही है। अवैध निर्माणों के लिए बिजली कनेक्शन तक हो रहे हैं। लोगों ने प्लाट काट कर बिजली के पोल तक गड़वा दिए है, लेकिन जिला प्रशासन फौरी कारवाई करके निर्माण की छूट दे रहा है।
शहर के भूमाफिया इस क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय : शहर के सभी छोटे-बड़े भूमाफिया इस क्षेत्र में सक्रिय हो गए हंै। सबसे अधिक जमीनों के दाम पिछले सालों में इसी क्षेत्र के बढ़े है। यहीं से निकलने वाले बाइपास पर फोर लेन हाइवे भी स्वीकृत है। इससे इस क्षेत्र के जमीनों की कीमतें आसमान पर है। यहीं वजह है कि अफसरों की मिलीभगत से भू-माफिया पहाडिय़ों पर कब्जे करवा रहे हैं। कई बार पुलिस व यूआईटी ने उन्हें वहां से हटाया, लेकिन कुछ समय बीतने के बाद फिर पहाड़ काटने का काम शुरू हो जाता है।
आचार संहिता लगी और काम शुरू : आचार संहिता लगते ही अवैध निर्माणों ने जोर पकड़ लिया हैं, क्योंकि सभी प्रशासनिक अधिकारी चुनाव कार्यक्रम में व्यस्त है। ऐसे में कोई रोकने वाला नहीं। चित्रकूट नगर पर ही मुख्य सड़क के किनारे पहाड़ों पर आज एक साथ चार बड़ी जेसीबी लगी हुई थी और जब तक आचार संहिता हटेगी तब तक पहाड़ी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। कई कब्जे धारी इन पहाडिय़ों पर कब्जा कर छोटा मोटा निर्माण करवा कर बिजली कनेक्शन ले रहे हंै।
नियम की पालना भी नहीं : उदयपुर की पहाडिय़ां उसके सौंदर्य का प्रतीक है। पहाडिय़ां काटने से उदयपुर की सुंदरता पर भी फर्क पड़ेगा। चित्रकूटनगर में हो रहे पहाड़ी काटने का काम नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। पहाड़ी पर अगर निर्माण की स्वीकृति भी मिलती है, तो उसका नियम है कि उसको एक निश्चित ऊंचाई तक ही काट कर निर्माण किया जा सकता है तथा 80 प्रतिशत क्षेत्र में हरियाली विकसित होनी चाहिए।
॥मुझे भी चित्रकूट नगर की पहाडिय़ों पर कब्जे और कटाने की जानकारी मिली है में अपने अधिकारियों को भिजवाकर कार्रवाई करवाता हूं।
-एस. मेहता,
सचिव, यूआईटी