अमोलक डाइग्नोस्टिक सेंटर के डॉक्टर ने बताया था बच्चे को कोख में ही मार डालने का उपाय – अदालत ने सुनाई एक साल की सज़ा .

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उदयपुर. शहर के मशहूर डाइग्नोस्टिक सेंटर अमोलक के मालिक डॉ राजेन्द्र कच्छावा ने कन्या भ्रूण को कोख में ही मारने के उपाय बताये थे. डॉ का मीडिया द्वारा स्टिंग ओपरेशन किया गया था जिसके बाद डॉ. राजेन्द्र कच्छावा को दोषी मानते हुए अदालत ने उन्हें एक साल की सज़ा सुनाई और पांच हज़ार रुपये का जुर्माना किया.
गर्भ में भ्रूण के लिंग की जांच करने के मामले में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत डाॅ. राजेन्द्र कच्छावा को दोषी करारदिया गया । डाॅ. कच्छावा उदयपुर के वैल स्प्रिंग अमोलक डायग्नोस्टिक सेंटर के मालिक भी हैं।
जानकारी के अनुसार मामला 13 जून 2006 का है। स्टिंग ऑपरेशन में गर्भवती महिला को डिकाॅय बनाकर वैल स्प्रिंग अमोलक डायग्नोस्टिक सेंटर भेजा गया था। डॉ. राजेंद्र कच्छावा ने एक हजार रुपए लेकर लिंग परीक्षण कर उसका वर्जन भी बता दिया था। डॉक्टर ने गर्भ में ही भ्रूण की हत्या करने की जानकारी दी थी जो स्टिंग ऑपरेशन कैमरे में साफ कैद हो गई। मामला सामने आने के बाद तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेशचंद्र अहारी ने जांच-पड़ताल कराई। इसके बाद डॉ. राजेंद्र कच्छावा के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया। जिसके बाद अदालत ने शुक्रवार को उन्हें दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
मामले को लेकर तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमएस यादव ने 17 मार्च 2008 को अदालत में वैल स्प्रिंग अमोलक डायग्नोस्टिक सेंटर के डॉ. राजेंद्र कच्छावा और उसके प्रबंधक के खिलाफ परिवाद पेश किया था। धारा 23 गर्भधारण पूर्व व प्रसव पूर्व तकनीकी (लिंग निर्धारण का वर्जन) अधिनियम 1994 सपठित 1996 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में इसे पेश किया गया।
विशिष्ट अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पीसीपीएनडीटी एक्ट प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी समरेंदर सिंह सिकरवार ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद डॉ. राजेंद्र कच्छावा वैल स्प्रिंग अमोलक डायग्नोस्टिक सेंटर को गर्भ धारण पूर्व व प्रसव पूर्व निदान तकनीकी (लिंग निर्धारण का वर्जन) अधिनियम 1994 की धारा 4 सपठित धारा 23 के तहत दोषी करार देते हुए एक वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। चिकित्सक को अपराध धारा 5 (2) 6 के आरोप से दोषमुक्त किया गया। अधिनियम की धारा 23 के तहत अग्रिम कार्रवाई के लिए निर्णय की प्रति समुचित प्राधिकारी अधिकारी उदयपुर को भेजने के निर्देश दिए।

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