उदयपुर , वर्ष की अंतिम शाम डूबते सूरज की मनमोहक लालिमा बिखेरते हुए वर्ष 2012 को अलविदा कह गयी । अनेक खुशगवार और दुख के पल अपने में समेटे हुए यह वर्ष भी चला गया एक नए सूरज की किरण के साथ आने का वादा लेकर यही सिलसिला सदियों से चलता आया है और चलता रहेगा ।
आइये हम मिलते है हमारे शहर की उन माँ शक्तियों से जिन्होंने अपने क्षेत्र में कामयाबी के नए आयाम रचे है जो इस श्रश्ठी की रचना में अपना अहम् योगदान रखती है । जानते है उन्ही से कैसा रहा वर्ष 2012 और 2013 से क्या अपेक्षा रखती है ।
सीमा सिंह – मेनेजिंग डायरेक्टर , एश्वर्या कॉलेज ।
2012 हर लिहाज से अच्छा रहा काफी संतोष जनक रहा कार्य में प्रगति हुई कॉलेज में नए नए विचारों के साथ कई कार्यक्रम हुए जिसका सभी ने दिल खोल के स्वागत किया लेकिन साल के अंत में एक घटना ( देहली गेंग रेप ) ने अन्दर तक आत्मा को झकझोर दिया और दिल से एक ही आवाज़ निकली चाहे कोई भी वर्ष हो कोई भी उपलब्धि मिले या न मिले लेकिन ऐसी घटना दोबारा नहीं हो ।
वर्ष 2013 के लिए में आशा करती हूँ की परिवार के सदस्य दोस्तों और सभी शहर वासियों के लिए की खुशियों भरा हो जो हमारे सपने है पुरे हों । उदयपुर शहर राजस्थान का कश्मीर है यह किसी जन्नत से कम नहीं और झीलें इस जन्नत की रोनक । इस जन्नत की रोनक हमेशा बनी रहे सभी इसको संभाल कर रखे ।
श्रद्धा गट्टानी – मेनेजिंग डायरेक्टर ,ओरियंटल पैलेस रिसोर्ट
वक़्त दर वक़्त गुजर जाता है छोड़ जाता है मधुर यादें कुछ यादगार लम्हे जो दिल को छु लेने वाली बातें बन जाती है और कुछ अनसुलझे सवाल और कडवी यादे बस ऐसे ही कुछ अच्छा और जाते जाते कुछ बुरा रहा 2012 , साल के अंत की देहली गेंग रेप की घटना ने सोचने पर मजबूर कर दिया और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया ।
2013 में परिवार दोस्तों शहर वासियों के लिए सुख और कामयाबी के लिए दुआ के साथ साथ नगर निकाय से आग्रह है कि उदयपुर विश्व के पर्यटन क्षेत्र में अपना महत्त्व रखता है और इस महत्त्व को कम नहीं होने दें इसको बनायें रखे झीलें शहर का ताज है इन्हें सजा कर रखे गंदा नहीं करे ।
हर शहर वासी से ही नहीं देश के हर नागरिक से आग्रह है की महिलाओं के सम्मान को अपनी आदत बना लें सोच बदले और अपनी निगाह में इतनी सच्चाई रखे की किसी वर्ष देहली गेंग रेप जैसी कोई घटना दोहराई नहीं जाए ।
तरु श्री शर्मा – महिला पत्रकार , राजस्थान पत्रिका
2012 अच्छा रहा कामयाबी भरा रहा पत्रकारिता के क्षेत्र में श्रेष्ठ “झाबरमल पुरस्कार ” से सम्मानित होने का अवसर प्राप्त हुआ काम के नजरिये से संतुष्ठी भरा साल रहा लेकिन शहर को देखे तो कुछ ज्यादा ख़ास नहीं रहा सपने अधूरे रहे, विकास अधुरा रहा, और पूरा बर्ष ट्राफिक में उलझे रहे । ओवरब्रिज की सख्त आवश्यकता रही लेकिन उसका निर्माण तो दूर उसका प्लान भी तैयार नहीं किया ।
2013 में चाहुगी करियर को आगे बढाने के साथ साथ अपनी पत्रकारिता और लेखनी से महिलाओं के लिए कुछ ऐसी अलख जगाना चाहती हु जिससे महिलाये अपनी सुरक्षा और मान सम्मान की रक्षा खुद कर सकें ।
समाज से यही कहना है की हर बात के लिए सरकार पर निर्भरता ठीक नहीं जो काम हम यूनिटी में एक हो कर कर सकते है वह हम खुद करने की कोशिश करे ।
सुषमा कुमावत – समाज सेविका ,
2012 मिला जुला रहा भ्रष्टाचार उजागर करने का साल रहा सरकार नाकाम रही वर्ष भर सिर्फ लिपा पोती भरी बाते ही करती रही महिलाओं के लिए आर्थिक तंगी भरा रहा पेट्रोल के दामों में भरी वृधि से सारे समीकरण बिगड़ से गए महिलाओं पर अत्याचार कम करने के एक्ट बने फिर भी महिलाओं का शोषण होता रहा कानून का दुरूपयोग हुआ । घरेलू हिंसा की वारदातें बड़ी है और जबतक महिलाओं को न्याय मिलता है तब वह बूढी हो जाती है ।
2013 के लिए ये सोच है की महिला को न तो सती बनाओ न ही देवी बनाओ न परी बनाओ न ही दासी बनाओ महिला को महिला ही रहने दो उसका सम्मान करो महिलाओं को भी अपना आत्म सम्मान करना होगा स्वतंत्रता और स्वछंदता में फर्क करना होगा ।
उदयपुर हमारे देश का सबसे अच्छा शहर है हर कार्य के लिए नगर परिषद् और अन्य निकायों को दोष नहीं दे झीलों की सफाई का स्वयं ध्यान रखे हर व्यक्ति को स्वीक सेन्स की समझ होनी चाहिए ।
– मेनेजिंग डायरेक्टर , सी पी एस स्कूल ,
2012 मिला जुला रहा , शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छे प्रयास हुए लेकिन उनका लाभ ठीक से नहीं उठा पाए । आर टी इ के अंतर्गत जरूरत मंद बच्चों को लाभ मिला लेकिन क्या सही में जो लोग जरूरत मंद थे उन्होंने इसका लाभ लिया ? और सबसे बड़ा आघात देहली गेंग रेप ने दिया ।
2013 से काफी उम्मीद है आर टी इ के रूप में जो एक नयी सोच मिली है उसका सही उपयोग हो, जो लोग सही मानों में जरूरत मंद है उनको इसका लाभ मिले । महिलाओं की रक्षा में कुछ नए और कड़े क़ानून बने । और सबसे ख़ास लड़का हो या लड़की उनका चरित्र निर्माण जरूरी है और इसके लिए में अपना हर संभव प्रयास करूगीं । बच्चे हो यां बड़े रिश्तों को पहचाना सीखे । बच्चों को लेकर चिंता है उनको शिक्षा के साथ साथ पेरेंटिंग भी सिखानी होगी आज एक पिता पिता नहीं है माँ , माँ नहीं है सभी अपने बच्चों के दोस्त बनाने की दौड़ में है । क्यों हम माँ और पिता बन कर बचों का विश्वास हासिल नहीं कर सकते ।
स्वीटी छाबड़ा – मेनेजिंग डायरेक्टर , एन आई सी सी
गुजरा साल कुछ हादसों को छोड़ कर बेहतरीन रहा खट्टी मीठी यादों को समेटे वक्त गुजर गया । हम वेसे भी शांत शहर में रहते है जहाँ अमन पसंद लोग निवास करते है । सुदूर पूर्व प्रदेश में उठने वाली लपटों से सदैव हम अछूते रहते है । हमने इतिहास से सबक लिया है और आज को दिल से जिया है । सुन्दरता हमारे अन्दर तक बसी हुई है ।
2013 दस्तक दे चूका है यह साल सभी के लिए खुशियाँ लाये वतन में अमन और चैन हो मेरे शहर की झीलें हमेशा भरी रहे और शहर का सोन्दर्य पुरे विशव में फैले अरावली के वादियाँ यु ही मुस्कराती रहे हम सब अपने लक्ष्य को छुए और यह कामना करें कि अब कोई “दामनी” असुरों की शिकार नहीं बने इन्ही कामनाओं के साथ सभी को नया साल मुबारक ।
अनुराधा दीक्षित – एन आर आई
मै दूर दुसरे मुल्क में रहती हूँ लेकिन दिल में हमेशा हिन्दुस्तान बसता है । हर वक़्त मुझे मेरे झीलों के शहर का एहसास होता है । 2012 खुशियों भरा रहा परिवार कुछ खट्टी मीठी यादें छोड़ गया जैसे मुझे अपने परिवार की चिंता लगी रहती है ऐसे ही मुझे अपने शहर उदयपुर की झीलों की फिकर होती है और हर शहर वासी से यही आग्रह करती हूँ इनकी खूबसूरती बनाये रखे इनको गन्दा होने से बचाए ।
2013 के लिए सभी को मुबारक और दुआ की सबको उनकी मनचाही ख़ुशी मिले ।
देश के कीसी भी कोने में किसी भी सड़क पर कही भी “दामिनी” को दोहराया नहीं जाए ।
साल 2012 हम सबसे अलविदा कह रहा है
मगर यह लहू कैसा जो उसकी आँखों से बह रहा है ?
क्या यह तुम्हारी दामिनी का है ?
या हमारे उन् मासूम विद्यार्थियों का ?
कैसे जान पाऊँगी यह गोरों का है या भारतीयों का
कितना कुछ दिया इस साल ने और कितना ले गया
हैवानियत भी देखि मैने और देखि दया
अगला बरस आप सबके घर खुशियाँ लेकर आये
कोई मासूम का दिल चलनी ना हो
कोई दामिनी ना कहलाये
दिवाली पर आप अपने अन्दर के रावण को जलाएं
और समस्त स्त्री जाती को लक्ष्मी की जगह बैठाएं
2013 आपके लिए अत्यंत ही मंगलमय हो
हैवानियत की पराजय और इंसानियत की जय हो !!
HAPPY NEW YEAR अनुराधा दीक्षित
मंजीत बंसल –
२०१२ उतार चडाव भरा वर्षा रहा अज़ीज़ लोगों को खोया जिनकी भरपाई जीवन में कभी नहीं हो सकती और जाते जाते देश की और आत्मा की नींव तक हिला गया और सब को जगा गया ।उम्मीद है आने वाला बर्ष २०१३ महिलाओं के लिए सुरक्षित और बैखोफ हो कि महिलाए आत्म निर्भर बने निडर बने ।
गेंग रेप जेसी घटना के दोषियों को सीधे फंसी ही हो ।
महिलाओं के लिए इंटरनेश्नल लेवल पर एक ऐसा अभियान सुरक्षा कि द्रष्ठी से चलाना चाहती हु जिसके बाद महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करे ।
सभी शहर वासियों को २०१३ कि शुभ कामनाएं