ऑल इण्डिया सी.ए. कांफ्रेंस सम्पन्न

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आम करदाताओं की समस्याओं के समाधान पर हुई चर्चा

उदयपुर, ऑल इण्डिया सी.ए. कांफ्रेंस के दूसरे दिन सोमवार को आयोहित तकनिकी सत्रों में आयकरदाताओं के रोजमर्रा प्रभावित करने वाले विभिन्न कर प्रावधानों पर दिल्ली, मुम्बई, जयपुर व कोयम्बटूर से आये कर विशेषज्ञों ने सरल साधारण भाषा में समस्या के समाधान प्रस्तुत किये।

कांप्रे*स सलाहकार सी.ए. वी.एस. नाहर ने बताया कि प्रात:कालीन प्रथम सत्र में मुम्बई के सी.ए. अतुल सी. भेडा ने आयकर दाताओं की कई भ्रांतियां दूर करते हुए आयकर सर्वे के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।

सी.ए. अतुल भेडा ने स्पष्ट करते हुए बताया कि आयकर सर्वे केवल व्यवसायिक स्थान पर ही किया जा सकता है घर पर नहीं। सर्वे के दौरान नगद, स्टॉक आदि जब्त नहीं किया जा सकता केवल उनकी सूची बताई जा सकती है। करदाता सर्वे के दौरान अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हडबडाहट व मानसिक दबाव में बयान दे देते हैं वे ऐसी स्थिति से बचें। सर्वे की आड में धोखे या डाके से सुरक्षा के लिये अधिकारियों से पहचान पत्र व विभागीय अनुमति पत्र प्रस्तुत करने का आग्रह करना चाहिए। व्यवसाय स्थल बंद होने पर उसका ताला तोडकर सर्वे नहीं किया जा सकता। करदाताओं को अपना व्यवहारिक स्टॉक, रोकड व बहीखाता आदि घर पर नहीं रखना चाहिए व घर के पते को व्यावसायिक स्थल और गोदाम में नहीं दर्शाया जाना चाहिए। सर्वे को विशेष परिस्थितियों में आयकर अधिकारी विशेष अनुमति द्वारा ही छापे में बदल सकते है। करदाता अपना व्यवसाय व दिनचर्या चालू रखते हुए भी आयकर अधिकारियों को पूरा सहयोग कर सकते है, आयकर अधिकारी व्यवसाय को रोकने, बंद करने का दबाव नहीं डाल सकते। सर्वे के दौरान खाता बही आदि की कॉपी ही ली जा सकती है, लेकिन मूल खाता बही अधिकतम १० दिनों तक ही जब्त किया जा सकता है। इससे अधिक के लिये उच्चाधिकारियों से अनुमति की आवश्यकता होती है। निजी व्यक्तिगत जांच तलाशी नहीं की जा सकती है।

प्रवक्ता मुकेश बोहरा ने बताया कि द्वितीय सत्र में दिल्ली से आये सी.ए. संजय अग्रवाल ने हिन्दू अविभाजित परिवार की आयकर अधिनियम की अवधारणा विषयक नये प्रावधानों पर चर्चा करते हुए बताया कि हिन्दू अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) में कर्ता सहभागी व सदस्य अभिन्न अंग होते है जिसमें परिवार का मुखिया पुरूष कर्ता होता है व उसके पुत्र-पुत्री, पौत्र व पडपौत्र सहभागी होते हैं, इसके अतिरिक्त पत्नी, पुत्रवधु इत्यादि महिला सदस्य हो सकते है। एच.यू.एफ. का विभाजन की मांग कर्ता व सहभागी ही कर सकते हैं, सदस्य नहीं। लेकिन सभी जनों को संपत्तिा में समान हिस्से का अधिकार है। एच.यू.एफ. आयकर अधिनियम अन्तर्गत एक अलग यूनिट माना जाता है जिसकी पृथक हैसियत है व इसका कर्ता से भिन्न आयकर संख्या (पेन नं.) होता है व इसको आयकर की सारी छूटें अलग से प्राप्त होती है अत: इसके द्वारा कोई भी व्यवसाय कर संचालन किया जाकर आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत कर नियोजन किया जा सकता है।

सी.ए. सुधीर ने बताया कि तृतीय तकनिकी सत्र में आई.सी.ए.आई. के पूर्व अध्यक्ष सी.ए. जी. रामास्वामी (कोयम्बटूर) ने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग पर लगने वाले आयकर प्रावधान को विस्तार से बताया तथा इस पर प्रतिभागी सी.ए. द्वारा पूछे गये प्रश्नों के समाधान दिये। उन्होंने बताया कि डवलपमेंट एग्रीमेंट का प्रारूप इस प्रकार बनाया जाये ताकि आयकर का दायित्व सरकार को सही समय पर चुकाया जा सके और पेनाल्टी प्रावधानों से छूटकारा मिल सके।

संगोष्ठी के समापन पर स्थानीय शाखा के अध्यक्ष गौरव व्यास ने दो दिवसीय कांप्रे*स का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जबकि अंत में सचिव दीपक एरन ने सभी का आभार जताया।

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