देश में खुदरा महंगाई दर एक बार फिर से बढ़ गई है। जनवरी में यह आंकड़ा बढ़कर 10.79 फीसदी तक पहुंच गया, जबकि दिसंबर में महंगाई दर 10.56 फीसदी थी। वहीं, इस दौरान देश की औद्योगिक उत्पादन दर में गिरावट दर्ज की गई है। दर में हुई इस कमी का सीधा मतलब है कि देश में उत्पादन घट रहा है और उत्पादन घटने का सीधा असर जरूरी चीजों के दाम पर पड़ेगा। चीजें महंगी हो जाएंगी और आपकी जेब पर बोझ बढ़ जाएगा। लेकिन इस बीच आपके फायदे की भी कई खबरें निकल कर आ रही हैं।
आम आदमी को सस्ता घर मिलने का रास्ता साफ होता लग रहा है। सरकार सस्ते घर पर मिलने वाली रियायत को बढ़ाने की तैयारी में है। होम लोन के ब्याज पर ज्यादा टैक्स छूट, सस्ते घरों पर ज्यादा लोन और डीटीएच-फोन-केबबल सर्विसेस से जुड़े कई फायदे आम आदमी को जल्द ही मिल सकते हैं। वहीं, सरकार अब हर आदमी को सिर्फ 1500 रुपये में टैबलेट देने पर भी विचार कर रही है।
बजट 2013-14 में अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया जा सकता है। एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि सरकार छोटे और सस्ते घर बनाने और खरीदने वालों को रियायत देने की तैयारी में है। अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिलने से बिल्डर के लिए कर्ज जुटाना आसान हो जाएगा साथ ही खरीदारों को सस्ते घरों के लिए ज्यादा लोन मिलेगा।
शहरी आवास मंत्रालय ने अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है। अभी देश में 1.87 करोड़ घरों की कमी है। वहीं, एचआईजी और एमआईजी सेग्मेंट में11 फीसदी घर खाली पड़े हैं। शहरी विकास मंत्री अजय माकन ने भी इस बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिए जाने की मांग की है। अजय माकन ने सेक्शन 80आईबी के तहत बिल्डरों को छोटे मकान बनाने के लिए दी जाने वाली टैक्स रियायत को फिर से लागू करने की मांग वित्त मंत्रालय से की है।
केंद्रीय दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार 1,500 रुपये में आकाश टैबलेट लोगों तक पहुंचाना चाहती है।
सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडैक) के टेक्नोलाजी सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद सिब्बल ने कहा कि मैंने रजत मूना (महानिदेशक, सीडैक) से आकाश के मामले में मदद करने को कहा है ताकि इसे लोगों तक 1,500 रुपये में उपलब्ध कराया जा सके। हर विद्यार्थी के पास एक आकाश होना जरूरी है जिससे वह इसके जरिए दुनिया देख सके।’ इस समय, सरकार डाटाविंड से 2,263 रुपये प्रति टैबलेट के दाम में आकाश खरीदती है। सरकार इसे 1,130 रुपये के रियायती मूल्य पर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराएगी।
सिब्बल ने कहा कि हाल ही में दिल्ली में एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई और मैंने रजत को बुलाया और उनसे कहा कि मैं हमारे देश में लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक प्रौद्योगिकी समाधान चाहता हूं। मैं एक कलाई घड़ी चाहता हूं जो वीडियोग्राफ तैयार कर सके, जो अलार्म सेट करे। आइये हम एक जीपीएस प्रणाली लगाएं और इसे 1,000 रुपये से कम कीमत में अपने नागरिकों को उपलब्ध कराएं।
होम लोन के ब्याज पर बढ़ेगी टैक्स छूट!
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) समेत देश के सभी बड़े शहरों में मकान की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए अगले वित्तवर्ष के बजट में होम लोन पर कुछ और रियायतों की घोषणा हो सकती है। इस तरह के लोन पर चुकाए जा रहे ब्याज के मद में मिलने वाली सालाना कर छूट की सीमा को मौजूदा डेढ़ लाख से बढ़ाकर दो या ढाई लाख रुपए किए जाने की संभावना है।
बजट पर नजर रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष होम लोन लेने वालों को डेढ़ लाख से ज्यादा की ब्याज रकम पर कर छूट की सौगात मिल सकती है। उनका कहना है कि एक दशक से पहले जब होम लोन के ब्याज पर आयकर कानून की धारा 24बी के अनुसार छूट देने की शुरुआत की गई थी तो उस समय डेढ़ लाख रुपए भले ही बड़ी रकम हो लेकिन अभी जितने में मकान आ रहा है, उसके मुकाबले यह रियायत कुछ भी नहीं है। जब यह सुविधा शुरू की गई थी तब मकान कीमत तीन लाख से शुरू होती थी और 15 से 20 लाख रुपए में बढिय़ा मकान मिल जाता था। अब तो एलआईजी में मकानों की कीमतें 30 लाख रुपए से ऊपर चली गई हैं। एमआईजी में अगर थोड़ा ज्यादा स्पेस वाला मकान देखें तो वह 50 लाख रुपए के आसपास मिल रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जब यह सुविधा शुरू हुई थी तब होम लोन का औसत आकार पांच लाख रुपए का था। वर्ष 2009-10 में यह बढ़कर 17 लाख रुपए पर पहुंच गया और आज तो यह 22 लाख रुपए है। राष्ट्रीय आवास बैंक के मुताबिक इस समय 68,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम होम लोन के रूप में दी गई है। इसमें से सबसे ज्यादा लोन (43 फीसदी से भी अधिक) 25 लाख रुपए से ऊपर के लोन अकाउंट में है। 15 से 25 लाख रुपए तक के लोन 25 फीसदी अकाउंट में है, जबकि दो लाख रुपए तक के लोन एक फीसदी भी नहीं हैं। यदि किसी व्यक्ति ने 25 लाख रुपए का लोन 20 वर्ष के लिए लिया है तो उसे साल में तकरीबन ढाई लाख रुपए का ब्याज चुकाना पड़ता है जबकि टैक्स में छूट मात्र डेढ़ लाख रुपए तक की ही है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस सीमा को बढ़ाने की मांग काफी पहले से हो रही है। पिछले वर्ष भी इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने की मांग की थी, लेकिन यह नहीं हो पाया था। इस वर्ष तो जो मांग की सूची आई है उसमें चार लाख रुपए तक की छूट देने की गुजारिश की गई है।
मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छी खबर है। ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस ग्रुप जेपी मॉर्गन के मुताबिक 2013 में घरों की बिक्री में अच्छा उछाल देखने को मिल सकता है और आने वाले 2 सालों में नए घरों की बिक्री में सालाना 7 फीसदी की बढ़ोतरी आ सकती है। ये बढ़ोतरी देश के 6 बड़े शहरों मुंबई, दिल्ली- एनसीआर, बंगलुरू, चेन्नई, पुणे, और हैदराबाद में आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिलने और ब्याज दरों में गिरावट का असर घरों की बिक्री पर देखने को मिलेगा। आरबीआई की कटौती के बाद बैंकों ने होम लोन की ब्याज दरें घटानी शुरू कर दी हैं। उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में ब्याज दरों में और गिरावट आएगी, जिसका सीधा फायदा हाउसिंग सेक्टर को मिलेगा। हालांकि इस वजह से घरों की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है।
फोन, केबल और डीटीएच सेवाओं के लिए होगा एक बिल
दूरसंचार विभाग की समिति ने टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं के लिए नए एकीकृत लाइसेंस की सिफारिश की है. निकट भविष्य में आपको टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
दूरसंचार विभाग (डॉट) के एक पैनल की सिफारिश को अगर मान लिया गया, तभी यह बदलाव संभव हो पाएगा। इस समिति ने टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं के लिए नए एकीकृत लाइसेंस की सिफारिश की है। यह लाइसेंस पाने वाली कंपनी अपने ग्राहकों को मोबाइल एवं लैंडलाइन फोन सेवाओं के साथ-साथ डीटीएच और केबल टीवी वगैरह सर्विसेज की भी पेशकश कर सकेगी। दूसरे शब्दों में, ग्राहक एक ही कंपनी से मोबाइल, लैंडलाइन फोन, केबल टीवी और डीटीएच जैसी सेवाएं पा सकेंगे। यही नहीं, ये तमाम सेवाएं अपने ग्राहकों को मुहैया कराने के लिए संबंधित कंपनी के पास समूचा इन्फ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचागत सुविधा) रहना भी जरूरी नहीं होगा।
उपर्युक्त समिति ने राष्ट्रीय टेलीकॉम नीति 2012 के तहत एकीकृत लाइसेंसिंग व्यवस्था पर पेश अपनी रिपोर्ट में एक नए तरह के लाइसेंस का प्रस्ताव किया है। यह है- यूनिफाइड लाइसेंस (सर्विस डिलीवरी)। यह लाइसेंस पाने वाला ऑपरेटर अपने ग्राहकों को तमाम संचार (कम्युनिकेशन) सेवाएं मुहैया कराने के लिए अन्य कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी इस्तेमाल कर सकेगा।