उदयपुर. मुख्यमंत्रीजल स्वावलंबन अभियान के तहत खेरवाड़ा और ऋषभदेव पंचायत समिति में होने वाले कार्यों के ई-टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत पर एसीबी टीम ने शुक्रवार को छापा मारा। टीम प्रतापनगर स्थित अधिशाषी अभियंता जल ग्रहण विकास एवं भू संरक्षण कार्यालय पहुंची और आवश्यक दस्तावेज जब्त किए। एएसपी ब्रजेश साेनी ने बताया कि ई-टेंडर प्रक्रिया में प्रथमदृष्टया अनियमितता पाई गई है, मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। एक्सईएन एनपी माथुर और एईएन प्रदीप सोमानी की भूमिका की भी जांच की जा रही है। संदेह है कि अधिकारियों ने ई-टेंडर में अनियमितता बरत कर उनकी चहेती फर्मों को टेंडर जारी किए हैं।
एएसपी ब्रजेश सोनी ने बताया कि एक परिवादी फर्म ने ई-टेंडर में हुई गड़बड़ी की एसीबी को शिकायत दी थी। परिवादी ने बताया कि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत खेरवाड़ा अौर ऋषभदेव पंचायत समिति के कुछ गांवों में एनिकट नाड़ियां निर्माण से संबंधित चार कार्य होने थे। इसके लिए प्रतापनगर स्थित कार्यालय अधिशाषी अभियंता जल संग्रहण विकास एवं भू संरक्षण ने 31 दिसंबर को ई-निविदा निकाली। चार कार्यों के लिए 14 जनवरी तक ऑनलाइन और 16 जनवरी तक प्रतापनगर कार्यालय में आवेदन शुल्क के 500 रुपए और चारों कार्यों की कुल लागत की दो प्रतिशत धरोहर राशि के डीडी जमा कराने थे। सभी आवेदक फर्मों ने फाॅर्म के साथ डीडी स्कैन कर ऑनलाइन आवेदन किया। ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तारीख से एक दिन पहले 13 जनवरी को अधिकारियों ने डीडी जमा कराने की जगह बदल खेरवाड़ा स्थित कार्यालय कर दिया। इसकी सूचना भी सिर्फ ऑनलाइन अपलोड कर दी। परिवादी फर्म ने तय समय में खेरवाड़ा स्थित कार्यालय जाकर डीडी जमा करा दिए। विभाग ने निविदा खोली और किसी भी कार्य में परिवादी फर्म को शामिल नहीं कर उसके आवेदन खारिज कर दिए। निविदा चार अलग-अलग स्थानीय ठेकेदारों को जारी कर दी गई। फिर परिवादी को बताया गया कि उसका डीडी समय पर जमा नहीं हुआ। 19 जनवरी को परिवादी के पास एक प्राइवेट व्यक्ति का फोन आया कि उनके डीडी ले जाएं। इस पर परिवादी को उसके साथ हुए धोखे का एहसास हुआ और उसने 19 जनवरी की शाम को एसीबी कार्यालय में शिकायत की।