एक ऐसा गांव जहां के लोगों के साथ जुडा है अजब संयोग, जिसके अनुसार वंश वृद्धि के लिए पुरुष को दूसरी शादी करनी पड़ती है।अब तक के इतिहास में यह संयोग किसी एक परिवार के साथ नहीं बल्कि हर परिवार के साथ देखने में आया है।
इस गांव का नाम है ‘रामदियों की बस्ती’ जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर भारत-पकिस्तान की सरहद पर बसा हुआ। सत्तर परिवारों की इस बस्ती में सभी परिवार रामदिया मुसलमान समुदाय से हैं।इस गांव के हर परिवार में दो-दो निकाह हुए हैं।
दो-दो निकाह करना यहां के लोगों की शान नहीं बल्कि एक अनोखी मजबूरी है। एक ऐसी मजबूरी जो आज इस गांव के लिए एक आश्चर्यजनक परंपरा बन गई है।दरअसल इस गांव में किसी भी परिवार में पहले निकाह के बाद संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ जबकि दूसरी बेगम से सभी घरों में बच्चे खेल कूद रहे हैं।
गांव वालों के अनुसार यह परिपाटी कई दशकों से चली आ रही है, वे बताते हैं कि गांव के लाला मीठा की जब पहली शादी हुई तो कई वर्षों तक उन्हें कोई संतान पैदा नहीं हुई।उनके घर वाले उन्हें दूसरी शादी के लिए मनाते रहे लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
55 साल की उम्र में मीठा की पहली पत्नी का निधन हुआ और घर वालों के दबाव में उन्हें दूसरा निकाह करना पड़ा।दूसरा निकाह करने के एक साल बाद उनके यहां एक लड़की और कुछ वर्षों बाद तीन लड़कों ने जन्म लिया।तब से इस गांव में किसी को भी पहले निकाह के बाद संतान प्राप्त नहीं हुई,संतान प्राप्ति के लिए उन्हें दूसरा निकाह करना ही पड़ा।
गांव के कई लोगों को तो आधी उम्र बीत जाने के बाद संतान कि चाह में दूसरा निकाह करना पड़ा, तब भी उन्हें निराशा हाथ नहीं लगी बल्कि उनके घर में किलकारी गूंज उठी।