कृषि उत्पादन बढ़ाने एवं किसानों को खुशहाल बनाने के लिए
आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं उपकरण प्रयोगशाला से खेतों तक पहुचें—राज्यपाल
उदयपुर, कृषि उत्पादन बढ़ाने एवं किसानों को खुशहाल बनाने के लिए आवश्यक है कि कृषि की आधुनिक प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं उपकरण प्रयोगशाला से बाहर निकलकर किसानों के खेतों तक पहुचें। ये विचार आज यहां राजस्थान की महामहिम राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा ने व्यक्त किये। राज्यपाल आज मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित महाराणा प्रताप कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षान्त समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने विधिवत दीक्षान्त समारोह की घोषणा की।
राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने कहा कि अनुसंधान प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिये, जिससे हमारे देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के उपयुक्त सुधार के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास, विस्तार सेवाओं, विपणन सुविधाओं और जानकारी वितरण प्रणाली प्रदान करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को भी जोड़ा जाना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे भविष्य का एजेन्डा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करने तथा कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन का होना चाहिये। उन्होंने कहा कि किसानों की व्यवहारिक जरुरतों को पूरा करने की दृष्टि से विस्तार सेवाओं को सुदृढ़ करना होगा। उन्होंने जैविक खेती, एकाधिक फसल, अक्षय ऊर्जा स्रोतों, महिलाओं के प्रशिक्षण एवं सशक्तीकरण, जल संचयन तथा जल प्रबंधन के क्षेत्रा में और अधिक ध्यान देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्य मेरे समक्ष उपस्थित कृषि के प्रतिभावान छात्रों के बल पर ही संभव है।
राज्यपाल ने कहा कि आज़ादी के बाद समग्र रूप में सिंचाई के बुनियादी ढांचे, सहायक संस्थागत ढांचे और स्थान एवं वस्तु विशिष्ठ प्रौद्योगिकियों के बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ-साथ केन्द्र एवं राज्य सरकार की नीति समर्थन व्यूह रचना से भारत में कृषि का पूर्ण प्रभावी रूप से विकास हुआ है। हरित क्रान्ति से देश के विभिन्न भागों में कृषि पैदावार में बढ़ोतरी होने से समद्धि आई तथा देश खाद्यान्न में आत्म निर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा जैसा कि इन्दिरा गांधी ने वायदा किया था। उन्होंने कहा कि हमने खाद्यान्न उत्पादन में पांच गुना वृद्धि देखी, वर्ष 1951 में 51 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन बढ़कर लगभग 257 मिलियन टन तक पहुॅच गया जो हमारे लिए गर्व की बात है।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में महाराणा प्रताप कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को शामिल करते हुए हमारे देश में लगभग चार दर्जन राज्य कृषि विश्वविद्यालय हैं जो स्थान और जलवायु विशिष्ट कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि यद्यपि हम कृषि के क्षेत्रा में सतत रूप से चुनौतियों के बारे में जागरूक हैं परन्तु कृषि के सकल उत्पाद(जी.डी.पी.) में होने वाली गिरावट चिन्ता का प्रमुख विषय है। यह इस बात का संकेत है कि सामाजिक परिणामों के साथ कृषि और गैर कृषि आय के बीच खाई बढ़ रही है। साथ ही प्राकृतिक संसाधन आधार में तेजी से गिरावट विशेष रूप से बिगड़ता हुआ मृदा का स्वास्थ्य, भू-गर्भ में गिरता हुआ जलस्तर तथा प्रतिकूल जलवायु स्थिति व पारिस्थितिक कारकों और जलवायु के परिवर्तन भी वास्तविक समस्या है।
राज्यपाल ने कहा कि दालों, फलों और सब्जियों में कोल्ड स्टोरेज की कमी एवं परिवहन समर्थन प्रणाली जैसी योगिक कमियों के कारणों से इनके उत्पादन में कमी आई है। उन्होंने कहा कि बढ़ती इनपुट लागत, सस्ते और समय पर ऋण सुविधा की विफलता एवं बारिश की कमी ग्रामीण संकट व किसानों में आत्महत्या के कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा ये क्षेत्रा गंभीर चिन्ता के विषय हैं।
महामहिम राज्यपाल ने समारोह में उपस्थित युवा कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे कृषि क्षेत्रा की इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने ज्ञान और कौशल का पूरा उपयोग करें। उन्होंने कहा कि डिग्री आपको स्नातक बनाने के साथ-साथ जिम्मेदारी की भावना भी प्रदान करती है। जब आपको लगता है कि आप अपने संगठन के लिए और अपने देश, मानवता और विश्व के लिए जिम्मेदार हैं, तभी आप अपने आपको किसी भी कार्य के लिए शक्तिशाली और सब कुछ करने के लायक महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि आप जीवन के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अपने आप में विश्वास जाग्रत करें कि आप एक चमत्कार हो और इसे सिद्ध करके दिखाओ।
उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि उच्च जोखिम के साथ कृषि के लिए कृषि जलवायु परिस्थितियों में बड़े बदलाव के बावजूद भी राजस्थान अनाज, दलहन, तिलहन, मसाले, फूल, फल और सब्जियों की एक विस्तृत विविधता के उत्पादन स्तर को प्राप्त कर रहा है। इंदिरा गांधी नहर हमारे रेगिस्तान को हरे-भरे क्षेत्रा में बदल रही है, जिससे यहां की चारे की आवश्यकताओं की पूर्ति बड़े पैमाने पर हो रही है।
राज्यपाल ने सभी नए स्नातकों, डिग्री और पदक प्राप्तकर्ता कृषि युवाओं को अपनी ओर से बधाई देते हुए आग्रह किया कि वे कृषि प्रौद्योगिकी के चुने हुए अपने क्षेत्रों में परिवर्तन के लिए नये उत्प्रेरक के रूप में सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि देश को आपकी जरूरत है और किसान आपको देख रहे हैं। आपको कृषि के क्षेत्रा में हरित क्रान्ति लाने के लिए साधन बनना होगा।
उन्होंने कृषि युवाओं को संवारने में उपकुलपति, विश्वविद्यालय शिक्षकों, कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि युवा विश्वविद्यालय का गौरव बनेंगे। उन्होंने सभी को एक उज्ज्वल और नववर्ष के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।
उपाधी एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये
महामहिम राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह मे 729 विद्यार्थियों को उपाधी प्रदान की। इनमें कृषि इन्जिनियरिंग, डेयरी व खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी, गृह विज्ञान, मात्स्यकी, उद्यानिकी एवं वानिकी संकाय के स्नातक स्तर के 594 विद्यार्थी, स्नातकोत्तर स्तर के 105 विद्यार्थियों को उपाधी प्रदान की गई। साथ ही 30 विद्यार्थियों को विद्या वाचस्पति(पीएच.डी.) की उपाधी भी प्रदान की गई। राज्यपाल ने विभिन्न संकायों में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाले स्नातक स्तर के 14 एवं स्नातकोत्तर के 10 एवं इन्जिनियरिंग संकाय के विद्यार्थियों को जैन इरिगेशन की ओर से स्वर्ण पदक भी किये।
समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ओ.पी.गिल ने विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं शैक्षिक तथा विकासात्मक गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। समारोह में समाजसेवी श्रीमती नीलिमा सुखाड़िया, जिला कलक्टर विकास एस.भाले, पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा सहित अन्य अधिकारी, विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थी व अभिभावक मौजूद थे। राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एस.आर.मालू एवं परीक्षा नियंत्राक डॉ. जीत सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एवं समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।