मोहनलाल सुखाडिया विष्वविद्यालय तथा राजस्थान पुलिस उदयपुर रेन्ज के संयुक्त तत्वाधान में 2 दिवसीय मौताणा विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी कान्फ्रेन्स हाल पुलिस लाईन्स उदयपुर मे षुरू हुई। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त डॉ0 सुबोध अग्रवाल ने कहा कि आदिवासी समाज मे प्रचलित मौताणा जैसी प्रथाओं को रोकने के लिये गैर आदिवासी समाज में जनश्री बीमा जैसी योजनाए संचालित करनी होंगी क्योंकि मौताणा जैसी समस्याओं का मूल आर्थिक समस्याओं में निहित है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता न्यायाधीष श्री मुकेष भार्गव ने कहा आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित प्रथाए भी कानून का स्वरूप रखती हैं, यदि वे युक्तियुक्त हो तो संविधान इन्हें स्वीकारता है। ऐसे में यह आवष्यक है कि हम मौताणा जैसी समस्याओं को कम करने के लिये वैकल्पिक माध्यमों में ढूढें, जिनमें किसी मृतक से तत्काल सरकारी कोष से सहायता प्रदान करना सम्मिलित है। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने कहा विष्वविद्यालय प्रतिवर्ष 2 ऐसे विद्यार्थियों में पीएच डी. षोध के लिये प्रोत्साहित करेगा जो मौताणा जैसे विषय पर कार्य करेंगे तथा ऐसे 2 छात्रों को जनजाति विकास विभाग प्रतिवर्ष छात्रवृति भी देगा। विष्वविद्यालय संगोष्ठी में प्राप्त होने वाले सुझावों के आधार पर राज्य सरकार मे षीघ्र ही नितिगत सुझाव भेजेगा। विषिष्ट अतिथि श्री हरि प्रसाद षर्मा, जिला पुलिस अधीक्षक उदयपुर ने कहा कि मौताणा समस्या की मूल वजह समाज के पंच पटेल हैं तथा बेरोजगार युवा इसे बढाने में योगदान देते हैं तथा पुलिस तन्त्र के लिये विवषता उत्पन्न हो जाती है। श्रीमान महानिरीक्षक पुलिस उदयपुर, रेन्ज, उदयपुर का कहना था कि यह प्रथा पूर्व में प्रचलित नहीं थी, किन्तु विगत कुछ वर्षो से विकराल रूप ले लिया है तथा भ्रमित युवा सही राह नहीं ढूढ पा रहा है। संगोष्ठी में झारखण्ड केन्द्रीय विष्वविद्यालय से पधारे प्रो. एन.सी. बेहरा सामाजिक कार्यकर्ता वैलाराम गुगरा, प्रो. संजय लोढा, ई.टी.वी. के रवि षर्मा, आस्था से भरत श्रीमाली एवं श्री कालूराम रावत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) उदयपुर ने अपने पत्रवाचनों से संबोधित किया।