सुप्रीम कोर्ट ने दिए यथा स्थिति के आदेश
उदयपुर, शहर मे निर्माण निषेध क्षेत्र में मौजूद जिन लोगों के निर्माणों पर हाईकोर्ट के आदेश की तलवार लटकी हुई थी सुप्रीम कोर्ट से उनको राहत मिल गयी है।
उल्लेखनीय है कि झील निर्माण निषेध क्षेत्र में बने निर्माणों को लेकर हाईकोर्ट ने कई मकानों को तोडने के आदेश दे डाले थे और जनता की नींद उडी हुई थी और इसी फैसले को लेकर शहर के आधी से ज्यादा जनता प्रभावित थी। सारी स्थिति देखते हुए राज्य सरकार ने लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया था और उसी के अंतर्गत राज्य सरकार ने यूआईटी उदयपुर को सुप्रीम कोर्ट मे विशेष अनुमति याचिका दायर करने के निर्देश दिये थे जिस पर अमल करते हुए यूआईटी सचिव आर.पी.शर्मा की याचिका को अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिघंवी ने पेश किया। चीफ जस्टिस अल्तमल कबीर की पीठ ने सुनवाई के बाद यथा स्थिति के आदेश जारी किये थे तथा कोर्ट ने हाईकोर्ट के प*रियादी को भी नोटिस जारी किया है। अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद अगले आदेश नहीं आते तब तक यथा स्थिति रहेगी ना तो निर्माण होगें ना ही तोडे जाएगें।
राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष १९९७ के बाद उदयपुर की झीलों के आस-पास बने मकानों को तोडने के आदेश के संदर्भ में राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका के तहत दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने झीलों के आसपास बने निर्माणों को यथास्थिति बनाए रखने के कोर्ट के आदेश का कांग्रेस मीडिया सेन्टर अध्यक्ष पंकज कुमार शर्मा ने स्वागत किया है।
शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश से उदयपुर की झीलों के आस-पास रहने वाले हजारों परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली है।