कब तक सहेगें ये हमले

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सम्पादकीय – मोहम्मद हुसैन 

दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर हुए आतंकी हमले ने हर भारतीय को झकझोर कर रख दिया है | हर कोई यह सोच रहा है की क्या हम ऐसे आतंकी हमलों के शिकार होते ही रहेंगे या इसका कहीं अंत भी होगा | जब जब आतंकी हमले होते हैं नेताओं के घटना स्थल का दौरा करने, इसकी निंदा करने, बयान जारी करने की होड़ सी लग जाती है | इसके बाद सरकार मुआवजा दे कर घायलों की कुशलक्षेम पूछ कर अपने दायित्वों से मुक्त होना चाहती है | विपक्षी दल सरकार को निशाना बनाते हैं ,सरकार या प्रशासन एक बार फिर रेड अलर्ट जारी करती है| सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत, विश्वसनीय बनाने का भरोसा दिलाया जाता है| कुछ दिनों के बाद पुन: यथा स्थिति  आ जाती है |बेगुनाह लोगों की शहादत को भी वक़्त के साथ भुला दिया जाता है | आतंकवादी राक्षश या जिन्न के समक्ष सरकार ,चाहे वोह केंद्र की या राज्य की हो , लाचार व् बेबस नज़र आती है | अगर सही वक़्त पर मुनासिब कदम उठाएं जायें तो निस्संदेह ऐसी घटनाएं जो आए दिन हर भारतीय के अंतर्मन को कचोटती है उन पर अंकुश लगाया जा सकता है | मुंबई आतंकी हमले में स्पष्ट रूप से पडौसी देश का हाथ होने के बावजूद उस देश के विरुध्द आज तक कोई सख्त कदम न उठाना और अपराधियों को आज तक सजा न दिया जाना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है | यदि सरकार आतंकवाद का मुकाबला द्रढ़ इच्छा शक्ति से करे , राजनयिक स्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर तक कठोर निर्णय ले तभी आमजन में विश्वास बहाल हो सकेगा |

2 COMMENTS

  1. aap ko baut baut badahi,aap na udiapur post per current issu per likha ha jo ek aam jaanta ki samsya ko apna kalm sa likh ha asa prtita hota ha,per mera ek suzaw ha ki hum sub samsya sa gheera hua ha iska hul bhi huma sa hi nikala ga to wo bhi likh,her samsya hul bhi likhana ki gujarish ker ti hu.back up……………

    • धन्यवाद सुषमा जी , आप का सुझाव बोहत अच्छा हे , और हम कोशिश करेगे के , हर समस्या के साथ उसके सुझाव भी यहाँ लिखे जाए ,

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