गुलाबी ठण्ड में गर्मी का एहसास करा दिया कवियों ने

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उदयपुर. दैनिक भास्कर की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में देश के जाने-माने कवियों ने विविध रस की कविताओं से खूब सराबोर किया श्रोताओं को।

सर्दी के बावजूद कवियों को सुनने के लिए देर रात कार्यक्रम के अंत तक जुटे रहे श्रोता, उदयपुरवासियों की कवियों ने की दिल खोलकर तारीफ।

लोक कला मंडल के मुक्ताकाश रंगमंच पर गुरुवार की शाम काव्य रंगों से सजी। मंच से बरसे काव्य रस का जादू कुछ ऐसा चला कि श्रोता गुलाबी ठंड के बीच अपनी जगह से हिले तक नहीं।

सुरेंद्र शर्मा की चार लाइनों पर ठहाके तो डॉ.कुमार विश्वास के गीतों पर पांडाल में वाह.. वाह.. गूंज उठा। डॉ. सीता सागर ने मेवाड़ के मंदिर, पर्यटन स्थल, नदियां, शिक्षण सहित तमाम चीजों पर अभिवादन कविता से हर श्रोता का दिल जीत लिया।

उन्होंने मेवाड़ अंचल की संस्कृति और यहां की पहचान से जुड़ी कोई चीज नहीं छोड़ी। लंबे अभिवादन में हर जगह का नाम याद रखते हुए बड़े ही प्यार से प्रस्तुत किया तो परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कुल मिला कर ख्यातनाम कवियों की रचनाओं के इंद्रधनुषी मंच से दमकती शाम श्रोताओं के लिए यादगार हो गई। अपने पसंदीदा कवियों को सुनने का उत्साह कुछ ऐसा रहा कि कई लोग शादी-समारोहों से भी जल्दी लौट आए।

 इनकी रही मौजूदगी

दैनिक भास्कर की ओर से भास्कर उत्सव श्रंखला के तहत कवि सम्मेलन की शुरुआत में अतिथियों ने कवियों का सम्मान किया। इनमें सोजतिया क्लासेज के डायरेक्टर महेंद्र सोजतिया, सनराइज नर्सिग इंस्टीट्यूट के निदेशक हरीश राजानी, अरावली हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. आनंद गुप्ता, अलका पब्लिसिटी के संदीप खमेसरा, आरएसएमएम के सीनियर मैनेजर बालमुकुंद असावा, हृदय क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष राजेश जैन, पेसिफिक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार शरद कोठारी, निदेशक राहुल अग्रवाल, दैनिक भास्कर के उदयपुर यूनिट हेड अजीत वी. जॉनी, पूर्व आईएएस और दैनिक भास्कर के एडिटोरियल एडवाइजर महेंद्र सुराणा शामिल थे। संभागीय आयुक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल, एएसपी (सिटी) तेजराज सिंह भी बतौर मेहमान मौजूद थे।

 

मंदिर या मस्जिद की या किसी इमारत की, माटी तो लगी भाई मेरे भारत की..’, ‘कान्हा और द्वारकाधीश में यही फर्क है, अगर तुम कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते, सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता..’।

 सुरेंद्र शर्मा, दिल्ली

 

 

‘मैं तुझे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक रोज जाता रहा, रोज आता रहा..’, ‘कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है..’, ‘किसी के दिल की मायूसी जहां से होकर गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पे खोकर गुजरी है..’, ‘हम हैं इस मुल्क की सरकार बनाने वाले..’।

 डॉ. कुमार विश्वास, गाजियाबाद

 

महंगाई भारत को नोच-नोच कर खा रही है, आम आदमी के हाल आज फटेहाल है, पेट्रोल दिन-रात पार्टी बदलता है, डीजल के दाम पे हो रहा बवाल है..’, ‘कुर्सियां रूठे तो रूठे बोझ हम ढोते नहीं है, हम कवि हैं, हम किसी के पालतू तोते नहीं हैं..’।

 राव अजात शत्रु, उदयपुर

 

‘भारत ने अमेरिकी आदेश मानकर कहा, पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए, बातचीत दिल्ली में करें या इस्लामबाद में, बातचीत नहीं बदलनी चाहिए..’।

 संपत सरल, जयपुर

 

बंद हो थाने के पट ऐसा कभी होता नहीं, शहर सोये चैन से बस इसलिए सोता नहीं, कर्म पथ में हैं मिले मुझको मगर कांटे बहुत, आदमी हूं कैसे कह दूं मैं कभी रोता नहीं..’, ‘वो कहते हैं कि गांवों की तस्वीर बदल देंगे, उन्होंनें गांव को सिर्फ

तस्वीर में देखा है..’, ‘नेता और अफसर के कुत्तों की बातचीत..’।

 पवन जैन, भोपाल

 

तुम्हें गुरु ग्रंथ जी की बानी की कसम, पुत्र बलिदान की कहानी की कसम, पिया नहीं शत्रुओं के पानी की कसम, ऊधम भगत की जवानी की कसम, सरदारी तेवर दिखाते क्यों नहीं, चिड़िया को बाज से लड़ाते क्यों नहीं, भूल गए क्या वो संस्कार आप हैं, जाने किस तरह के सरदार आप हैं..’, ‘चाहे कुछ भी हो जाए, आज से तिरंगा कहीं झुकेगा नहीं..’।

 आशीष अनल, लखीमपुर खीरी (उत्तरप्रदेश)

 

दिल की दिल से कहां पर है दूरी नहीं, तेरी दुनिया बड़ी तो है पूरी नहीं, मेरी तनहाइयों का है मुझ पे करम, मैं अकेली हूं, लेकिन अधूरी नहीं..’, ‘अजनबी राह पर चली आई, सब ने रोका मगर चली आई, आप दो गज जमीन दे न दें, मैं तो सब छोड़कर चली आई..,’ ‘हमें कोई कुछ भी माने..’।

 डॉ. सीता सागर, कुरुक्षेत्र

सो.- दैनिक भास्कर

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