मेघालय। भारतीय समाज में सास और उसकी बेटी का पति यानि दामाद का रिश्ता मां-बेटे की तरह माना जाता है। वहीं मेघालय में सास और दामाद की शादी हो जाती है। मेघालय की गारो जनजाति में एक ऎसी परंपरा है जिसके तहत सास और दामाद की शादी हो सकती है। इसके बाद सास और दामाद का रिश्ता खत्म होकर पति-पत्नी का रिश्ता बन जाता है।
गारो जनजाति का एक नियम है कि शादी के बाद छोटी बेटी का पति घर जमाई बन कर ससुराल में रहने आ जाता है। इसके बाद इसे नोकरोम कहा जाने लगता है। नोकरोम को सास के मायके में पति के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता मिलती है। अगर किसी कारण से ससुर की मृत्यु हो जाती है तो सास की शादी नोकरोम से कर दी जाती है। इस शादी के बाद बेटी और सास दोनों का पति बनकर नोकरोम को दोनों की जिम्मेदारी उठानी पडती है।