ज़िन्दगी -तेरे साथ
तुझे पाने के जूनून में खुद को खो दिया है
तेरी सासों से मेरी सासें आखिर कब मिलेंगी.
आधे लिखे ख़त भी भीग गए हैं इन बरसातों में
निगाहें तेरी कोशिश करे तो भी कैसे पढ़ेंगी,
अश्कों से नाता तोडना आसान न होगा
भूल के मुझे अब जब महफिले सजेंगी.
सहम जाओगे तुम मेरे इंतज़ार की हदें देख के
आवाज़ हर धड़कन में बस तेरी ही मिलेगी,
तेरे बगैर मैं बिखर जाऊं तो मुझे समेट लेना
मौत के आँचल में सांसें मेरी उलझी मिलेंगी,
मैं फिर जो था शायद वो न बन पाऊ
ज़िन्दगी फिर भी यादों में मुझसे लिपटी मिलेगी,
रचना : हरविंदर सलूजा “रूबल”
बहुत बढ़िया रूबल जी
wah bahut khoob.
wah bahut khoob.
अश्कों से नाता तोडना आसान न होगा
भूल के मुझे अब जब महफिले सजेंगी.
सहम जाओगे तुम मेरे इंतज़ार की हदें देख के
आवाज़ हर धड़कन में बस तेरी ही मिलेगी,very nice
Ek ubharata hua kavi,ishwar ki kirpa hamesha sath rahe ,ye dua hai
भूल के मुझे अब जब महफिले सजेंगी.
सहम जाओगे तुम मेरे इंतज़ार की हदें देख के
आवाज़ हर धड़कन में बस तेरी ही मिलेगी,
तेरे बगैर मैं बिखर जाऊं तो मुझे समेट लेना
मौत के आँचल में सांसें मेरी उलझी मिलेंगी,
BAHUT HI KHOOB HAI YEH LINES TOU ………………..MINDBLOWING RUBAL……..KEEP IT UP…..GOD BLESS U MY DEAR…….SACHI MEIN DIL KE SAATH-2 ROOH KO BHI SAKOON MILTA HAI…….