उदयपुर, । रविवार को उदयपुर में आयोजित होने वाली संभाग स्तरीय कार्यशाला के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता नीरज डांगी द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता के दौरान जमकर हंगामा हुआ और सभी एक साथ है यह कहने वाले प्रदेश प्रवक्ता के सामने ही कांग्रेसियों की गुटबाजी खुलकर सामने आ गयी। एक गुट ने तो सभी को साथ लेकर न चलने का आरोप लगाते हुए प्रदेश प्रवत्त*ा को ही कटघरे में ख$डा कर दिया।
संभाग स्तरीय होने वाली कार्यशाला की तैयारियां व कार्यकाल में आने वाले पदाधिकारी एवं संगङ्गन द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की जानकारी देने के लिए प्रदेश प्रवत्त*ा नीरज डांगी ने सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता का आयोजन किया था। प्रेस वार्ता में नीरज डांगी के साथ शहर जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडिया, मथुरेश नागदा व पंकज शर्मा का पत्रकार वार्ता में बैङ्गने का विरोध करते हुए कुछ कांग्रेसी बाहर निकल गये । इस दौरान दोनो ब्लॉक अध्यक्ष मुजीब सिद्दिकी पूरन मेनारिया कांग्रेस पदाधिकारी शराप*त खान, दीपक औदिच्य, अर्जुन राजोरा, जावेद खान, धर्मेन्द्र राजोरा, शंकर चंदेल, नटवर कुमावत, मदन पंडित आदि कार्यकर्ता आ गये और साथ में अजय पोरवाल, दिनेश श्रीमाली, देहात कांग्रेस के कमल चौधरी प्रवत्त*ा हेमन्त श्रीमाली सहित कई लोग एकत्र हो गये। तथा पत्रकार वार्ता के बीच में ही इन सबने विरोध करना शुरू कर दिया। इससे पहले प*ोल्डर का विमोचन के प*ोटो खिंचवाने को लेकर हेमन्त श्रीमाली ने पंकज शर्मा का विरोध किया तथा पंकज शर्मा को नीरज डांगी का मित्र बताते हुए विरोध किया। पत्रकार वार्ता से नीरज डांगी जैसे ही बाहर निकले सभी कांग्रेसियों ने मिलकर उन्हे घेर लिया तथा ब्लाक अध्यक्ष पूरन मेनारिया, मुजिब सिद्दिकी ने नीरज डांगी पर आरोप लगाया कि उदयपुर में संभाग स्तर की कार्यशाला हो रही है और उन्हे इसकी सूचना तक नहीं है। इस संदर्भ में होने वाली बैङ्गकों में सिर्प* जिलाध्यक्ष से चर्चा की जाती है। नीलिमा सुखाडिया के अलावा शहर के किसी भी अन्य पदाधिकारियों को नहीं बुलाया गया और इससे सभी कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है। नीरज डांगी सभी को समझाते रहे लेकिन कोई भी डांगी की बात मानने को तैयार नहीं था। एक बार तो स्थिती इतनी बिगड गई की सभी आये पदाधिकारियों ने कार्यशाला के बहिष्कार की ही घोषणा कर दी तथा विरोध करने की बात कह दी स्थिति बिगडती देख डांगी ने सभी को बारी बारी से समझाया और आखिर कार्यशाला में आने का न्यौता सब को देना पडा। हंगामे के दौरान जिन कांग्रेसी पदाधिकारियों पर आरोप लगाये जा रहे थे वे भी वहां चुपचाप खडे थे।
एक बार तो अर्जुन राजोरा, मुजीब सिद्दिकी, पूरन मेनारिया ने तो कांग्रेस प्रवत्त*ा से शहर जिलाध्यक्ष निलीमा सुखाडिया को हटाने की बात कह दी तथा उनकी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि शहर जिलाध्यक्ष द्वारा पिछले कई समय से अन्य पदाधिकारियों की उपेक्षा की जा रही है। जो कि संगङ्गन के लिए नुकसान देह साबित हो सकता है। हंगामे के दौरान विरोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि शहर की कार्यकारिणी के ३२ में से २७ पदाधिकारी शहर जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडिया के विरोध में है पि*र भी प्रदेश प्रवत्त*ा द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।