उदयपुर। दावेदारों के नामांकन उठाने की 22 नवम्बर आखरी तारीख थी। भाजपा के बागी के रूप में माने जाने वाले जनता सेना के दलपत सुराना और निर्दलीय प्रवीण रतालिया के फ़ार्म उठाने की अफवाहें उडती रही लेकिन किसी ने फ़ार्म नहीं उठाया।
उदयपुर शहर में भाजपा और शहर से भाजपा के प्रत्याशी गुलाबचंद कटारिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही भाजपा के बागी दलपत सुराणा और प्रवीण रातलिया ने फ़ार्म नहीं उठाया और चुनाव लड़ने का फैसला किया। गुरूवार सुबह से ही हर जननेता और खासोआम में यही पषोपेष चल रही थी कि जनता सेना के दलपत सुराणा और प्रवीण रतलिया अपना नामांकन उठा सकते है। कलेक्टरी पर ही सभी की निगाहें भी थी लेकिन आखिर निराशा ही हाथ लगी। करीब पांच दषकों तक भारतीय जनता पार्टी के साथ रहकर जनता के बीच पार्टी को सिद्धांतों की बात करने वाले दलपत सुराणा ने पार्टी को छोड़कर जनता सेना का दामन थामा और उदयपुर षहर से चुनावी मैदान में भी उतर गए । दलपत जी गुरूवार सुबह भी उसी जोष खरोष से निकले जिस उर्जा से वह चुनावी मैदान में उतरे थे। षहर में अपने समर्थकों के साथ प्रचार – प्रसार कर रहे थे। बातचीत में उन्होंने साफ किया कटारिया जी का फोन आया था, लेकिन मैं बैठने वाला नहीं मैंने तो उन्हें यही कहा चालिस साल हो गए आपको अब तो सत्ता का मोह छोड़ो।
इधर प्रवीण रातलिया भी चुनावी मैदान में है आज दिन में हास्यास्प्रद वाक्या तो तब हो गया जब सभी को यह पता चला कि निर्दलीय उम्मीदवार प्रवीण रतलिया नामांकन उठाकर भाजपा प्रत्याषी कटारिया को समर्थन कर रहे हैं। पार्टी के अधिवक्ता भी कलेक्टरी पर पंहुच गए, ऐसे में ठीक 2 बजकर 55 मिनट पर रतलिया अपनी गाड़ी में कलेेक्टरी पंहुचे। सभी मीडियाकर्मियों के कैमरे षुरू हो गए, अधिवक्ता प्रवीण खण्डेलवाल और राजेष वसीटा भी उनके साथ – साथ कलेक्टर चेम्बर की ओर चल दिए। लेकिन सभी चैंक तो उस समय गए जब रतलिया ने कहा मैं पर्चा उठाने नहीं सिम्बोल लेने आया हूं। रतलिया द्वारा ऐसा बोलते ही पार्टी से जुड़े सभी लोग मौन साधकर चुपचाप वहां से खिसक लिए। मीडिया से बातचीत में रतलिया ने कहा कि उनका चुनाव लड़ना तय है और निकलने का समय तो अब गुलाब जी का है, षहरवासी इस बार चाबी को ही चुनेंगे।